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रांची/डेस्क: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में चंद्रयान-4 मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर मानव भेजने की तैयारी करना है. सभी प्रारंभिक चरणों को मंजूरी देने से भारत की अंतरिक्ष गतिविधियों को नई दिशा मिलेगी. बैठक में वीनस ऑर्बिटर मिशन को भी हरी झंडी दी गई. यह मिशन शुक्र ग्रह के वायुमंडल और भूविज्ञान पर गहरी जानकारी हासिल करने के लिए है. इस कार्यक्रम से वैज्ञानिकों को आवश्यक डेटा मिलेगा, जिससे ग्रह की समझ बढ़ेगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारी वजन ले जाने में सक्षम नए प्रक्षेपण यान को मंजूरी दी है. यह यान पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करने की क्षमता रखेगा और चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों को लाने में मदद करेगा. चंद्रयान-4 मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री 2040 तक चंद्रमा पर उतर सकें और सुरक्षित रूप से लौट सकें. इसके लिए आवश्यक तकनीकी विकास किया जाएगा, जिसमें यान का सुरक्षित उतरना और नमूना संग्रहण शामिल हैं.
इस अभियान के लिए लगभग 2100 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस मिशन का विकास और प्रक्षेपण करेगा. उद्योग और शैक्षिक संस्थानों की मदद से यह परियोजना 36 महीनों के भीतर पूरी करने की योजना है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा.