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रांची/डेस्क: अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैंसर के 3 दवाओं पर से कस्टम ड्यूटी में छूट की घोषणा की थी. World Health Organization की रिपोर्ट देखें तो दुनिया में हर छठी मौत कैंसर की वजह से होती है. ऐसे हालतों में इस तरह की घोषणा कैंसर पीड़ितों के लिए राहत की खबर है. वहीं सूत्रों की माने तो डॉक्टर्स का कहना है कि यह ज्यादा जरुरी है कि इस तरह की दवाइयां सरकारी अस्पताल में मुहैया कराई जाए. इससे फिर एक बड़ा डाटाबेस तैयार हो, जिसके आधार पर कैंसर की दवाइयां भारत में ही बनाई जा सके.
डॉक्टर्स का कहना है कि सीमा शुल्क में सरकार की ओर से छूट स्वागतयोग्य है. मगर जरुरी बात यह है कि ऐसी दावाएं सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक पहुंचे. एक बड़ा डाटाबेस इससे तैयार किया जा सके.
इन दवाओं की क्यों हैं जरुरत
डॉक्टर्स की माने तो 10 मिलियन लोगों की मौत साल 2020 में कैंसर के कारण हुई. इसके इलाज का दुनियाभर में मरीजों पर भारी बोझ है. इसके साथ ही इस बीमारी से निपटने के लिए दवाओं की कमी है. वहीं कोई दवा है भी तो वह इतनी महंगी है कि आम लोगों के बजट से बहार है. इसलिए ये जरुरी है कि इन दवाओं के लिए सरकार की ओर से बड़ी सहायता मिले. ताकि इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें.
कौन-सी दवा है, जिसे मिली है छूट
Osimertinib, Trastuzumab Deruxtecan, और Durvalumab ये वो 3 दवाएं है जिन्हें सीमा शुल्क से मुक्त किया गया है. वहीं Trastuzumab Deruxtecan(ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन) एक एंटीबॉडी-ड्रग कंजुगेट है. इस दवा का मुख्य रूप से उपयोग HER2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है. इसके साथ ही Osimertinib का उपयोग फेफड़ों के कैंसर (NSCLC) के इलाज के लिए किया जाता है.
वहीं अगर Durvalumab की बात की जाए तो यह एक इम्यूनोथेरेपी दवा है. बता दें कि ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन को एनहर्तु नाम से रजिस्टर किया गया है. यह दवा बाजार में एनहर्तु के नाम से ज्यादा जानी जाती है. इस दवा को भारत में इलाज के लिए अमेरिका से मंगवाना पड़ता है. इसके साथ ही इसका खर्चा 3 लाख रुपए के आसपास आता है. वहीं Durvalumab के 2 डोज की कीमत 1.5 लाख रुपए के करीब पड़ती है.