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रांची/डेस्क: हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माने जाने वाले छठ महापर्व का शुभारंभ इस वर्ष 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हुआ. सूर्य देव और छठी माता को समर्पित यह पर्व विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता हैं. इस चार दिवसीय महापर्व में व्रती 36 घंटे का कठिन उपवास रखते है, जिसमें श्रद्धालु पूरी पवित्रता और समर्पण के साथ नियमों का पालन करते हैं. आइए, इस पवित्र पर्व के पहले दिन नहाय-खाय का महत्व और इसके नियमों पर नजर डालते हैं.
क्या है नहाय-खाय का महत्व?
छठ पूजा का प्रारंभ नहाय-खाय से होता हैं. इस दिन व्रती, यानी उपवास करने वाले श्रद्धालु तालाब, नदी या घर पर ही स्नान करते है और सात्विक भोजन ग्रहण कर अपने व्रत की शुरुआत करते हैं. नहाय-खाय का महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि यह व्रतियों को पवित्रता का अहसास कराते हुए मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्रदान करता है, जिससे व्रती के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं. इस दिन व्रती विशेष आहार लेकर अपने चार दिवसीय व्रत की तैयारी करते हैं.
नहाय-खाय के प्रमुख नियम
- साफ-सफाई: नहाय-खाय के दिन सबसे पहले पूरे घर को साफ-सुथरा किया जाता हैं. इसे पर्व के प्रति श्रद्धा और पवित्रता बनाए रखने के लिए जरूरी माना गया हैं.
- स्नान: छठ व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान करते है और यदि संभव हो तो नए या साफ कपड़े पहनते हैं.
- सूर्य को अर्घ्य: स्नान के बाद व्रती भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हैं. सूर्य देवता को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता हैं.
- भोग और भोजन: नहाय-खाय के दिन व्रती भगवान सूर्य को भोग अर्पित करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं. भोजन में सिर्फ सात्विक आहार का ही उपयोग होता है, जैसे लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल. इस दिन प्याज और लहसुन का प्रयोग मना होता हैं.
- परिवार के लिए नियम: इस दिन नहाय-खाय का भोजन सबसे पहले व्रती को ही करना होता हैं. व्रती के भोजन के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते है और वह भी सात्विक भोजन ही करते हैं.
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नहाय-खाय परंपरा का धार्मिक महत्व
नहाय-खाय के दिन व्रती पवित्र आहार लेकर खुद को छठ पूजा के लिए शुद्ध और पावन बनाते हैं. दिवाली के चौथे दिन, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय की परंपरा निभाई जाती हैं. इस दिन व्रती सात्विक भोजन ग्रहण कर अपने व्रत की शुरुआत करते है, जिससे पूरे परिवार में पवित्रता और श्रद्धा का माहौल बना रहता हैं.
छठ पूजा की शुरुआत के साथ राज्य में उत्साह का माहौल
बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्व छठ पूजा की शुरुआत के साथ ही घरों में सफाई, पूजा सामग्री और सूप आदि की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. चार दिन तक चलने वाला यह महापर्व श्रद्धालुओं को प्रकृति, आस्था और भक्ति से जोड़ता है और इस दौरान भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा कर उनके आशीर्वाद की कामना की जाती हैं.