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रांची/डेस्क: पिछले 5 सालों के दौरान झारखंड में लूट मची रही. मनरेगा घोटाला, अवैध खनन, जमीन घोटाला और ग्रामीण विकास विभाग में हुए विभिन्न घोटालों की जांच कर कार्रवाई करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य सरकार को अनेकों बार पत्र लिखा था. प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा कई बार पत्राचार किए जाने के बावजूद सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया. सिर्फ़ रांची सदर थाना में धारा 120B और अन्य धाराओं के अंतर्गत एक मुक़दमा दर्ज़ किया गया. हैरानी की बात है कि बाद में पुलिस ने सरकार के दबाव में धारा 120B (आपराधिक साजिश रचने) को हटा दिया.
विगत कुछ सालों के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये नगद ज़ब्त किए, AK47 जैसे मारक हथियार बरामद किए तथा सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों, भ्रष्ट अधिकारियों और दलाल बिचौलियों के गठजोड़ से चल रहे आपराधिक सिंडिकेट को बेनकाब कर भ्रष्टाचार के कई संगीन मामलों का भी उद्भेदन किया. ED की सख्त कार्रवाई और काले कारनामों का भंडाफोड़ होने से आहत उस आपराधिक सिंडिकेट ने ED की जांच को प्रभावित करने के लिए पूरा सरकारी तंत्र लगा दिया.एक मामले में अवैध खनन के शिकायतकर्ता ने दबाव में अपनी शिकायत वापस ली. ED अधिकारियों को SC/ST Act के अंतर्गत झूठे मुकदमे में फंसाने का कुचक्र रचा गया.
ED अधिकारियों की सहायता और सुरक्षा करने आए CRPF अधिकारियों पर भी केस दर्ज की गई. हनी ट्रैप में फंसाने और जानलेवा हमले कराने की योजना भी बनायी गयी. सरकार द्वारा जांच में लगातार बाधा डालने के कारण ED अंततः माननीय उच्च न्यायालय के शरण में गई है. यह पहला अवसर है जब ED को भ्रष्टाचार के संज्ञेय अपराधों विरुद्ध मुक़दमा दर्ज़ कराने के लिए न्यायालय के समक्ष अपील करनी पड़ी है.