Wednesday, Apr 2 2025 | Time 06:59 Hrs(IST)
झारखंड


बाबा कार्तिक उरांव द्वारा संसद में पेश किए गए डिलिस्टिंग प्रस्ताव को कांग्रेस सरकार ने ठंडे बस्ते में डाला: चंपाई सोरेन

बाबा कार्तिक उरांव द्वारा संसद में पेश किए गए डिलिस्टिंग प्रस्ताव को कांग्रेस सरकार ने ठंडे बस्ते में डाला: चंपाई सोरेन

न्यूज़11 भारत


रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सन 1967 में महान आदिवासी नेता बाबा कार्तिक उरांव ने संसद में डिलिस्टिंग प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उन्होंने धर्म बदल चुके लोगों को आरक्षण से बाहर करने की बात कही थी. उनके प्रस्ताव को तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा संसदीय समिति को भेज दिया गया. इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने बहुत छानबीन की और 17 नवंबर 1969 को अपनी सिफारिशें दीं. उनमें प्रमुख सिफारिश यह थी कि कोई भी व्यक्ति, जिसने आदिवासी परंपराओं का परित्याग कर दिया हो और ईसाई या इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया हो, वह अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जाएगा. मतलब धर्म परिवर्तन के बाद उस व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा. 

 

उसके बाद भी जब साल भर तक कुछ नहीं हुआ तो कार्तिक उरांव जी ने 322 लोकसभा सदस्य और 26 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षरों का एक पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिया, जिसमें यह जोर देकर कहा गया था की वे विधेयक की सिफारिशों का स्वीकार करें, क्योंकि यह करोड़ों आदिवासियों के अस्तित्व का प्रश्न हैं. किंतु ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में कांग्रेस सरकार ने विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया. जब हम कहते हैं कि कांग्रेस आदिवासी विरोधी है, तो उसके पीछे ऐसे कई कारण हैं. पहले तो उन्होंने 1961 में अंग्रेज़ों के जमाने से चले आ रहे “आदिवासी धर्म कोड” को जनगणना से हटवाया. उसके बाद, झारखंड आंदोलन के समय कई बार आदिवासियों पर गोली चलवाने का दुस्साहस भी कांग्रेस की सरकार ने किया.

 

आदिवासी संस्कृति का मतलब सिर्फ पूजन पद्धति नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली है. जन्म से लेकर शादी-विवाह एवं मृत्यु तक, हमारे समाज की सभी प्रक्रियाओं को मांझी परगना, पाहन, मानकी मुंडा, पड़हा राजा एवं अन्य पूरा करवाते हैं. जबकि धर्मांतरण के बाद वे लोग सभी प्रक्रियाओं के लिए चर्च में जाते हैं. वहाँ “मरांग बुरु” या “सिंग बोंगा” की पूजा होती है क्या? हमारी परंपराओं से दूर हटने के बावजूद ये लोग आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. जबकि सरना आदिवासी समाज के बच्चे इस रेस में पिछड़ते जा रहे हैं. अगर इस धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो भविष्य के हमारे सरना स्थलों, जाहेरस्थानों, देशाउली आदि में कौन पूजा करेगा? ऐसे तो हमारी संस्कृति ही खत्म हो जायेगी? हमारा अस्तित्व ही मिट जायेगा. जागो आदिवासियों, जागो !!

 


 


 


 

 
अधिक खबरें
Jharkhand Weather Today:  रांची में फिर से बिगड़ेगा मौसम, 11 जिलों में तूफान व बारिश की चेतावनी
अप्रैल 01, 2025 | 01 Apr 2025 | 9:52 PM

रांची समेत पूरे झारखंड में मौसम का उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है. मार्च के अंत तक कबी तेज धुप तो कभी बंगाल की खाडी से आई ठंड नमी हवा.

राजभवन के पास एक पुलिस कर्मी को कई लोगों ने पीटा, लड़कियों के साथ बदसलूकी का लगा आरोप
अप्रैल 01, 2025 | 01 Apr 2025 | 9:49 PM

रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र के राजभवन के पास एक पुलिसकर्मी की लोगों ने जमकर पिटाई कर दी. पुलिसकर्मी पर आरोप है कि उसने लड़कियों के साथ बदसलूकी की थी. वहीं, सिपाही को बचाने और बीच बचाव करने गए कोतवाली थाना प्रभारी आदिकांत महतो को उंगली में भी चोट लगी है.

जानलेवा हो गया है खूंटी का रीमिक्स फॉल! रांची के दो छात्रों की डूबने से मौत
अप्रैल 01, 2025 | 01 Apr 2025 | 9:41 PM

एक जमाना था दशम फॉल को खतरनाक माना जाता था. अब यही हाल रिमिक्स फॉल का हो गया है. मंगलवार को दोस्तों के साथ घूमने गये दो छात्रों की खूंटी के रीमिक्स फॉल में डूबने से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि रांची के खेलगांव स्थित महुआ टोली के रहने वाले रोलेन तिर्की और जेम्स सांगा अपने दोस्तों के साथ रीमिक्स फॉल घुमने गए थे. नहाने के दौरान दोनों गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे.

झारखंड में हर साल 20.75 करोड़ रुपये की बिजली चोरी, हजारीबाग सर्किल सबसे आगे
अप्रैल 01, 2025 | 01 Apr 2025 | 8:32 AM

झारखंड में हर साल 20.75 करोड़ रुपये यानी 332 लाख यूनिट बिजली चोरी हो जाती है. हजारीबाग सर्किल इस मामले में सबसे आगे है, जहां सालाना 49.62 लाख यूनिट बिजली की चोरी होती है. इसके बाद दूसरे स्थान पर जमशेदपुर है, जहां सालाना 38.39 लाख यूनिट बिजली की चोरी होती है. तीसरे नंबर पर राजधानी रांची है, जहां सालाना 28.04 लाख यूनिट बिजली चोरी होती है. यह खुलासा झारखंड राज्य बिजली वितरण (JBVNL) द्वारा झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंपे गए आंकड़ों में हुआ है.

आधुनिकता की अंधी दौड़ से अलग पुरखों की विरासत बचाने की जरूरत: शिल्पी नेहा तिर्की
अप्रैल 01, 2025 | 01 Apr 2025 | 8:18 PM

प्रकृति पर्व सरहुल पर एक बार फिर राजधानी रांची की सड़कों पर आदिवासी समाज की संस्कृति और परम्परा का अदभुत नजारा देखने को मिला. पारंपरिक परिधान में ढोल-नगाड़ा और मांदर की धुन पर नाचते-झूमते लोग सरहुल पर्व के रंग में सराबोर दिखे. राज्य की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की भी सरहुल के मौके पर अलग अंदाज में नजर आई. मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की रांची में कल्याण विभाग के द्वारा संचालित भागीरथी आदिवासी छात्रावास के छात्राओं के साथ सरहुल शोभा यात्रा में शामिल हुई. राजधानी रांची की सड़कों पर तीन घंटे से ज्यादा समय तक मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की कभी आदिवासी नृत्य, तो कभी नगाड़ा बजाती हुई नजर आई. पारंपरिक परिधान में एक साथ बड़ी संख्या में शामिल छात्राओं का नृत्य देखते ही बन रहा था.