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रांची/डेस्क: 17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है, जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. यह अवधि हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसमें पूर्वजों की श्रद्धा और पूजन का विशेष महत्व है. इस दौरान पितरों के प्रति आदर-भाव प्रकट किया जाता है, और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा की जाती है.
श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का महत्व
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण की प्रक्रिया की जाती है. श्राद्ध का मतलब है पूर्वजों को श्रद्धा से याद करना, पिंडदान का अर्थ है उन्हें भोजन दान करना, और तर्पण का मतलब है जल का दान करना. इन तीनों कार्यों से पितरों को संतुष्ट किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितृ पक्ष में दान और पूजा के विशेष तरीके
पितृ पक्ष के दौरान विभिन्न प्रकार के दान का महत्व है. गाय, तिल, घी, अनाज, भूमि, वस्त्र, सोना, चांदी, गुड़, और नमक का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है. गाय का दान धार्मिक दृष्टि से सर्वोत्तम है, जबकि तिल और घी का दान पितरों की प्रसन्नता के लिए महत्वपूर्ण है. भूमि और वस्त्रों का दान भी खास महत्व रखता है.
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पितरों की पूजा के लिए दान और अन्य उपाय
- गाय का दान: गाय का दान सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि करता है.
- तिल का दान: श्राद्ध के कर्म में काले तिल का दान संकट से रक्षा करता है.
- घी का दान: गाय के घी का दान परिवार के लिए शुभ होता है.
- अनाज का दान: गेहूं और चावल का दान संकल्प सहित किया जाए.
- भूमि का दान: आर्थिक रूप से सक्षम लोग भूमि दान कर सकते हैं, अन्यथा मिट्टी भी दान कर सकते हैं.
- वस्त्रों का दान: धोती और दुपट्टा दान करें, जो नए और स्वच्छ होना चाहिए.
- सोना और चांदी का दान: सोना कलह नाशक होता है, जबकि चांदी पितरों के आशीर्वाद के लिए प्रभावकारी है.
- गुड़ और नमक का दान: गुड़ और नमक का दान पूर्वजों की प्रसन्नता और सुख-संपत्ति को बढ़ाता है.
इन उपायों से पितृ पक्ष में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.