प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: झारखंड में खेत, नदियों के किनारे इस समय आपको सफेद चादर सी बिछी दिखेगी. ये काश के फूल हैं. काश के फूल का झारखंड की संस्कृति में प्रकृति का खास महत्व है, प्रकृति के प्रत्येक पौधे और घास का विशेष महत्व रहा है. इनमें काश फूल भी सभी को काफी आकर्षित करता है. झारखंड के आसमान में छाये सफेद और नीले बादलों के साथ धरती पर चारों तरफ फैले सफेद काश के फूल वर्षा की विदाई और मां दुर्गा के आगमन का अहसास करा रहे हैं.
पहाड़ों व नदियों के किनारे और खेत की में. और खाली पड़ी बंजर जमीन में बिछा काश फूल का सफेद मखमली चादर सहज ही सभी को आकर्षित कर रहा हैं. काश के फूल का वर्णन रामचरितमानस में संत तुलसीदास जी ने भी किया है. इसके साथ ही लोक कथाओं और परंपराओं में काफी मान्यता रही है. भादो के महीने में दूर खेत की पर काश फूल को देख ब्याहता के मन में उत्साह का संचार भरता नज़र आता है. भादो के महीने में दूर खेत की में पर काश के फूल देख ब्याहता को ऐसा आभास होता है कि करम एवं जितिया पर्व में उसका भाई या पिता उसे मायके ले जाने आ रहे है, वह उसी की सफेद पगड़ी है.
काश का फूल देख ब्याहता के मन में उत्साह का संचार होता है. झारखंड की परंपरा-संस्कृति में काश फूल का जन्म से लेकर मरण तक के विधि-विधान में विशेष महत्व है. काश फूल को लेकर कई लोक गीत भी प्रचलित है. काश फूल का मनोहरी दृश्य सभी को लुभाता है.
झारखंड की संस्कृति में प्रकृति का खासा महत्व है, प्रकृति के प्रत्येक पे?-पौधे और घास का विशेष महत्व रहा है. इमसें काश फूल भी सभी को काफी आकर्षित करता है. कई फिल्मों में भी काश फूल का मनोहरी दृश्य सभी को लुभाता है, हर क्षेत्र में इसका खासा महत्व है.
इसका जिक्र रामायण के किष्किंधा कांड में भी है. कई रोगों में औषधीय महत्व आयुर्वेद में इसका कई रोगों में औषधीय महत्व है. कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर अपने शापमोचन नृत्य नाटक की रचना में काश फूल के संबंध में कहे हैं कि यह मन की कालिमा दूर कर शुद्धता लाती है. भय दूर कर शांति लाती है. शुभ कार्य में काशी के पत्ते और फूल का उपयोग किया जाता है. काश फूल भगवती मां दुर्गा का स्वागत पुष्पकाशी फूल को मां दुर्गा देवी भगवती का स्वागत पुष्प माना जाता है.