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रांची/डेस्क: दिवाली के अवसर पर जब लोग लक्ष्मी पूजन की तैयारियों में जुटे होते है, वहीं अंबिकापुर में इस साल एक अलग ही अंदाज़ में दिवाली से एक दिन पहले कुकुर तिहार मनाया गया. यह त्यौहार नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित एक डॉग सेंटर में इस बार इसे पहली बार धूमधाम से मनाया गया हैं.
क्या है कुकुर तिहार?
कुकुर तिहार एक अनोखा त्यौहार है, जिसमें कुत्तों की पूजा की जाती हैं. नेपाल में मनाए जाने वाले इस त्यौहार का उद्देश्य कुत्तों के प्रति सम्मान और उनके प्रति प्यार का प्रदर्शन करना हैं. कुत्तों को भगवान भैरव का वाहन माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने का विशेष महत्व हैं. इस अवसर पर कुत्तों के माथे पर तिलक लगाया जाता है और उन्हें विशेष भोजन भी दिया जाता हैं.
अंबिकापुर के डॉग सेंटर में पहली बार मनाया गया कुकुर तिहार
अंबिकापुर के पुराने बस स्टैंड के पास संचालित डॉग सेंटर में सुधांशु शर्मा की पहल पर कुकुर तिहार का आयोजन किया गया. इस दिन वहां मौजूद सभी आवारा कुत्तों को सजाया गया और उन्हें तिलक लगाया गया. इसके साथ ही उनके लिए विशेष भोजन तैयार किया गया. इस डॉग सेंटर में पचास से अधिक कुत्ते है, जिनकी देखभाल और नसबंदी की जा चुकी हैं.
आशीर्वाद लेने की परंपरा
कुकुर तिहार के अंतर्गत कुत्तों को तिलक लगाकर उनसे आशीर्वाद लेने की परंपरा निभाई जाती हैं. इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए और कुत्तों के प्रति अपने प्रेम का इज़हार किया. आयोजकों ने बताया है कि इस तरह के कार्यक्रमों से लोगों में जानवरों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती हैं.
स्थानीय लोगों में उत्साह
यह अनोखा त्यौहार स्थानीय लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना. यह पहली बार था जब अंबिकापुर में इस प्रकार से कुत्तों की पूजा हुई. आयोजन को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया और यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.