प्रशांत शर्मा / न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः हजार बागों का शहर हजारीबाग इन दिनों एक नयी समस्या से जूझ रहा है. यह समस्या है नशे का कारोबार और इसमें फंस चुकी हजारीबाग की नब्बे फीसद युवा पीढ़ी. तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद हजारीबाग में नशे का रैकेट खूब फल-फूल रहा है. इसलिए हजारीबाग को नशा मुक्त बनाना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. युवा तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. जाहिर है कि यहां नशे का कारोबार भी तेजी से फैल रहा है. जिसमें कई अंतरप्रांतीय गिरोह के बड़े रैकेट शामिल हैं.
अगर यह कहा जाए कि हजारीबाग नशे की गिरफ्त में है, जो गलत नहीं होगा, क्योंकि हजारीबाग में साल दर साल नशे के कारोबार में भारी बढ़ोतरी हुई है. हजारीबाग में पांच साल में अफीम की खेती समेत अन्य नशा का कारोबारर एक सौ फीसदी के पार पहुंच गया है. पुलिस-प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बावजूद नशे का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि और इजाफा ही होता जा रहा है. पुलिस-प्रशासन विशेष अभियान चलाकर अफीम को खेती को नष्ट कर रहा है. इसके बावजूद हजारीबाग के साथ चतरा जिले के दर्जनों गांवों में खुलेआम अफीम की खेती होती है.
खूब होती है अफीम की खेती
हजारीबाग और चतरा में नशे के कारोबारी सबसे अधिक ध्यान अफीम की खेती पर देते हैं. चतरा, हजारीबाग जिला अफीम का कॉरिडोर बन गया है. एक अनुमान के मुताबिक हजारीबाग/चतरा में करीब पांच सौ एकड़ भूमि पर अफीम की खेती होती है और एक एकड़ फसल में औसतन 12 लाख रुपये की कमाई होती है.
सरकारी जमीन पर होती है अफीम की खेती
हजारीबाग जिला नशे से बुरी तरह सरकार को फटकार रहा है. हालांकि सरकारी प्रयास प्रभावित है. जिसकी नाकाफी साबित हो रहे हैं. हजारीबाग/चतरा में नशे का कारोबार कितनी तेजी से फैल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से जा सकता है कि इस साल अब तक 134 से ज्यादा कारोबारी गिरफ्तार हो चुके हैं और 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के नशीले पदार्थ जब्त किए जा चुके हैं. रोकथाम के लिए विशेष कहानी और नुक्कड़ नाटक करने के साथ लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा रही है. हजारीबाग में जिला प्रशासन ने नशा मुक्ति को लेकर 19 से 26 जून तक विशेष अभियान चलाया. पुलिस प्रशासन की सख्ती के बाद तस्करों ने अब अफीम की खेती का तरीका भी बदल लिया है. तस्कर रैयती जमीन को छोड़कर अब सरकारी जमीन पर अफीम की खेती कर रहे हैं. इसकी भनक पुलिस को भी नहीं लगती है. पुलिस कार्रवाई भी करती है, तो भी तस्कर पकड़ में नहीं आता है. अफीम की खेती के लिए तस्कर हाइब्रिड बीज का उपयोग करते हैं, ताकि अधिक पैदावार हो सके. हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल होने से उत्पादन दोगुना होता है. समय भी कम लगता है और अच्छी फसल भी होती है.
धंधे में ज्यादा लोग हो रहे हैं शामिल
हजारीबाग में पिछले 5 साल में अफीम की खेती का दायरा भी काफी बढ़ गया है. ज्यादा से ज्यादा लोग इस धंधे में शामिल हो रहे हैं, लेकिन कहा यह भी जाता है कि यह धंधा पुलिस की मिलीभगत की वजह से ज्यादा फल-फूल रहा है. चतरा जिला की पुलिस ने सबसे अधिक 177 नशे के सौदागरों के खिलाफ डोजियर खोला है. चतरा और लातेहार में नशे के कारोबार से जुड़े 366 स्थानों को चिह्नित किया है. नशे के उपभोग विक्रय और निर्माण/उत्पाद केंद्र के रूप में चर्चित इन स्थलों को पुलिस ने 'हॉट स्पॉट' की संज्ञा दी है. पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, चतरा ऐसा जिला है, जहां सबसे अधिक 296 स्थल पर नशे का उत्पाद के लिए पूरे राज्यभर में चर्चित है, जबकि लातेहार जिले में सबसे अधिक 106 लोग अभी नशे के कारोबार में शामिल हैं. जहां पर नशीले पदार्थ की बिक्री होती है. हॉट स्पॉट पर कार्रवाई के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है. अब सीआईडी मुख्यालय ने भी हजारीबाग और चतरा के एसपी को निर्देश दिया है कि चिहित हॉट स्पॉट पर पुलिस विशेष निगरानी रखें. साथ ही समय-समय पर छापेमारी अभियान भी चलाया जाए.