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रांची/डेस्क: आज ईस्टर हैं. आज, रविवार (20 अप्रैल ) को दुनियाभर में ईसाईयों का पर्व ईस्टर बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. ईसाइयों समाज में खुशियों से जुड़े दो पर्व बेहद खास हैं- क्रिसमस और ईस्टर. दोनो त्योहार प्रभु यीशु के पुनजीवित होने का पर्व हैं. ईसाई धर्म के अनुसार, गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी पहले संडे को ईसा मसीह दोबारा जीवित हो उठे थे. ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की खुशी में ईस्टर पर्व मनाया जाता है. इसे ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे के नाम से मनाते हैं. इस साल 20 अप्रैल को ईस्टर मनाया जा रहा हैं.
इस पर्व का खास महत्व, इतिहास और मनाने का तरीका
मसीह समाज में ऐसा माना जाता हैं. ईसाई धर्म में ईस्टर को अति पवित्र पर्व है. ईस्टर संडे को बदलाव का भी दिन माना जाता है. कहते हैं इस दिन ईशा मशीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था. इस दिन ईसाई धर्मावलंबी गिरिजाघरों और कब्रिस्तान में जाकर प्रार्थना करते हैं. प्रभु यीशु को याद करते हैं. एक-दूसरे को प्रभु यीशु के पुनर्जन्म की बधाई और शुभकामनाएं देते हैं.
ईसाई धर्मग्रंथ के अनुसार, गुड फ्राइडे को सलीब पर लटकाए जाने के दो दिन बाद यीशु पुन: जीवित हो उठ गए थे. ईसाई धर्मावलंबी इस उल्लास के पर्व को ईस्टर के रूप में मनाते है. जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन रविवार था, अत: इसे ईस्टर रविवार या ईस्टर संडे भी कहते हैं. यह ईसा मसीह के चमत्कारों में से एक माना जाता है. ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबिल में भी उल्लिखित है कि दोबारा जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के 40 दिन बाद तक ईसा मसीह इस पृथ्वी पर रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों व अनुयायियों को प्रेम एवं करुणा का संदेश दिया. उसके बाद वे स्वर्ग चले गए. इस पर्व के बारे में यह गाथा प्रचलित है.
इस पर्व का इतिहास
ऐसी मान्यता है कि ईसा मसीह को सलीब पर लटकाए जाने के उनके अनुयायी बेहद दुखी और निराश हो गए थे. वो बार-बार ईसा मसीह की कब्र पर जाकर वहां दुखी होकर बैठे रहते थे. गुड फ्राइडे के तीसरे दिन एक महिला कब्र पर गई और रोने लगी. तभी उसने देखा कि ईसा मसीह के कब्र पर पत्थर नहीं है. उसने बाकी अनुयायियों को इसकी दी. इसके बाद कुछ अनुयायी वहां पहुंचे और उन्होंने भी देखा कि कब्र में केवल कफन पड़ा हुआ है, ईसा मसीह नहीं हैं. कुछ समय के बाद बाकी अनुयायी तो वहां से चले गए, लेकिन महिला वहीं बैठकर विलाप करती रही. तभी उसने देखा कब्र के पास श्वेत वस्त्रों में दो देवदूत खड़े थे. उन दोनों दूतों ने उस महिला से रोने की वजह पूछी तो उसने ईसा मसीह के जाने की वजह बताई. उसी दौरान वहां उसने ईसा मसीह को देखा. तभी उसने वहां ईसा मसीह को देखा. इसके घटना के तुरंत बाद वह महिला ईसा मसीह के अनुयायियों के पास आई और बताया कि कैसे प्रभु ईसा मसीह फिर से जीवित हो गए हैं. धार्मिक मान्यता है कि ईसा मसीह फिर से जीवित होने के बाद 40 दिनों तक पृथ्वी पर रहे. अंत में वे कुछ शिष्यों के साथ आसमान में चले गए. वहीं इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों को ज्ञान के उपदेश दिए ौर उन्हें धर्म, कर्म, मानवता और शांति का पाठ पढ़ाया था.