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रांची/डेस्क: देश में ऐसे कई लोगों की यह चाहत होती है कि वह देश की राजधानी दिल्ली में रहे. वह दिल्ली या उसके आसपास के शहरों में अपना आशियाना खरीदना चाहते है. ऐसी चाहत रखने वाले सैकड़ों लोगों लोगों के साथ धोखधड़ी हुई है. एक कंपनी ने कई लोगों के सपने को तार-तार कर दिया है. ऐसे में उस कंपनी के खिलाफ ED ने एक्शन लिया है. रियल एस्टेट सेक्टर के दो नामी कंपनियों के खिलाफ उनके ठिकानों में ED ने छापेमारी की है. ED के इस एक्शन से दिल्ली समेत नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद तक हड़कंप मची हुई है. ED का यह दावा है कि इस मामले की कार्रवाई से हजारों करोड़ की संपत्तियों पता चला है. इसे साथ बहुत बड़ी संख्या में संवेदनशील दस्तावीज भी बरामद किए गए है. कंपनियों पर यह आरोप लगा है कि खरीदारों और निवेशकों के पैसों पर यह लोग सांप की तरह कुंडली मारकर बैठ गए है. 10 साल से भी ज्यादा समय पार होने के बावजूद भी वाडे के अनुसार घर नहीं दिए गए और ना ही प्लाट सौंपे गए.
सोमवार 03 मार्च को ED ने बताया कि भूटानी ग्रुप और रियल्टी फर्म डब्ल्यूटीसी ग्रुप के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी हुई. छापेमारी के बाद हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की गई है. ED ने एक बयान में कहा था कि ED द्वारा दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम (दोनों हरियाणा में) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) में भूटानी ग्रुप और उसके प्रमोटर आशीष भूटानी और डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटर आशीष भल्ला के के खिलाफ लॉन्ड्रिंग के मामले के तहत छापेमारी की गई.
ED ने बताया कि दिल्ली पुलिस की ईओडब्ल्यू शाखा यानी इकोनोमिक ऑफेंस विंग और फरीदाबाद पुलिस ने भूटानी इंफ्रा, डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटर आशीष भल्ला, अभिजीत भल्ला, सुपर्णा भल्ला और अन्य के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात, कथित धोखाधड़ी, सैकड़ों घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में दर्ज दर्जनों एफआईआर से सामने आया है.
क्या है मामला?
रियल्टी फर्म के खिलाफ सैकड़ों खरीदारों और निवेशकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इनसे पैसे तो ले लिए गए, लेकिन उन्हें घर मुहैया नहीं कराया गया. इसी आधार पर ईडी ने मामला दर्ज किया था और अब कार्रवाई की जा रही है. भूटानी इंफ्रा ने पिछले सप्ताह एक बयान में कहा था कि उसने हाल ही में डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ सभी संबंध तोड़ दिए हैं और अब वह जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग कर रहा है.
ईडी ने बताया कि पुलिस की एफआईआर में यह आरोप लगाया गया है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों ने शहर के सेक्टर 111-114 में रेजिडेंशियल प्लॉट के लिए अपनी परियोजना में निवेश करने के लिए आम जनता को प्रलोभन दिया था. इसमें यह भी कहा गया है कि प्रमोटरों और निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रचते हुए परियोजना को निर्धारित समय में पूरा नहीं किया और 10 साल से अधिक समय तक भूखंडों की डिलीवरी नहीं की, जिससे प्लॉट खरीदारों की गाढ़ी कमाई हड़प ली गई.
अमेरिका-सिंगापुर भेजे गए थे पैसे
ईडी के अनुसार, एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि भूटानी इंफ्रा समूह ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया और फरीदाबाद के सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्लॉट खरीदारों को अव्यवस्था में रखा गया और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई. इसके अलावा, निवेशकों को अपनी यूनिट्स सरेंडर करने के लिए लुभाया गया. एजेंसी ने यह भी कहा कि तलाशी के दौरान दिल्ली-एनसीआर में 15 प्रोजेक्ट्स से संबंधित विभिन्न निवेशकों से 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के दस्तावेज बरामद किए गए हैं. हालांकि, ईडी ने यह नहीं बताया कि ये दस्तावेज कहां से बरामद किए गए.
डब्ल्यूटीसी समूह द्वारा शुरू की जा रही 15 प्रमुख परियोजनाओं में से बहुत कम डिलीवरी दी गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक सुनियोजित पोंजी स्कीम हो सकती है, जिसके माध्यम से अन्य संस्थाओं के नाम पर संपत्ति बनाई जा रही है और विदेशों में धन की हेराफेरी की जा रही है. सिंगापुर और अमेरिका में पैसा भेजे जाने के सबूत मिलने का दावा भी किया गया है.