न्यूज़11 भारत,
सिमडेगा/ डेस्क: कहने को हम एक विकासशील भारत में रहकर आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं. लेकिन के इस अमृत महोत्सव की खुशियां सिमडेगा के उन ढाई सौ टोलों के लिए बेमानी है जो आज भी ढिबरी युग में सदियों पीछे का जीवन बिताने को मजबूर हैं.
बता दें की पूरा देश आजादी के 76 वें वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन दूसरी तरफ आदिवासी बहुल सिमडेगा में ढाई सौ टोले ढिबरी युग में प्रकाश की आजादी की राह निहार रहे हैं. बता दे की एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा वहीं दुसरी तरफ सिमडेगा की बड़ी आबादी ढिबरी युग में काट रही रातें.आखिर कब मिलेगा इन्हे अन्धकार से आजादी. ये बड़ा सवाल है. देश 21 वीं सदी की तेज चकाचौंध रफ्तार से भाग रहा है वहीं दुसरी तरफ आदिवासी बहुल सिमडेगा जिला का एक बड़ा इलाका आज भी ढिबरी युग में अपनी रातें काटने को मजबूर है. आज के आधुनिक युग में जहां बच्चों की शिक्षा भी ऑनलाइन चल रही है वहां बिजली नहीं रहने से पढने वाले बच्चों को काफी कठिनाई होती है. बच्चे रात की पढाई ढिबरी और लालटेन की टिमटिमाती रोशनी के सहारे करते हैं.
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सरकार सभी गांव और टोलों तक घर घर बिजली देने के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण योजना लाई. लेकिन संवेदक और विभाग की लापरवाही के कारण ये योजनाएं चलने की जगह रेंग रही है. नतीजा है कि जो विद्युतीकरण का कार्य को 2019 में ही पूर्ण कर लिया जाना था वह आज भी अधर में लटका हुआ है. दीनदयाल विद्युतीकरण वर्ष 2017 सिमडेगा में लाया गया और 24 महीने का समय दिया गया. लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण समय बार बार एक्सीडेंट करता गया. पिछला आदेश के अनुसार दिसंबर 2021 तक विद्युतीकरण पूर्ण कर लेना था. लेकिन फिर नतीजा शिफर.आज भी सिमडेगा के ढाई सौ से अधिक टोलों में बिजली नहीं मिल सकी है. विधुत विभाग के कार्यपालक अभियंता विश्वेश्वर मरांडी से इस बारे में बात की गई तो उन्होने कहा पैसे के अभाव के कारण इन टोलों में विद्युतीकरण के कार्य नहीं हो सके. कुछ जगहों के इंफ्रास्ट्रक्चर भी विद्युतीकरण में बाधक बने हैं. उन्होने कहा पैसे आएगें तब विधुतीकरण का काम किया जाएगा.
विधुत विभाग अगर सही तरीके से कार्य करती तो सिमडेगा बहुत पहले शत प्रतिशत रोशन हो जाती. विभाग सिस्टम में सुधार कर ले तो ढिबरी युग में जीते हुए इन 250 टोलों में भी बिजली की आजादी आ जाएगी.