अरुण कुमार यादव/न्यूज़11 भारत
गढ़वा/डेस्क: झारखंड सरकार भले ही आम लोगों के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही है ताकि लोगों को सबसे पहले स्वक्ष पेयजल पहुंचाया जाए लेकिन जिला से प्रखंड स्तर तक आते-आते कागज पर ही सिमट कर रहा जाती हैं. जी हां, यह कोई जुमला नहीं बल्कि गढ़वा जिले के भंडरिया प्रखंड क्षेत्र की बिंदा गांव के लोगों की कोरी सच्चाई है, जहां लोगों को अपने जीवन जीने के लिए लिए चूआड़ी का पानी पीना विवशता बनी हुई हैं. उनकी करुण पीड़ा को परिलक्षित करते गढ़वा डीसी शेखर जमुआर तो लगातार जिला में बैठक कर प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों को निर्देश देतें नजर आते हैं.
ऐसे में गढ़वा जिला का भंडरिया प्रखंड क्षेत्र के बिंदा गांव है, जहां आजादी के 77 वर्ष बाद भी यहां के लोग चूआड़ी खोदकर पानी निकालकर पीने को विवश हैं. बिंदा गांव पूरी तरह से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां लोग अब तलक बहती नदी में हाथ से चूआड़ी खोदते है और पानी निकालतें है और घर ले जाकर भोजन बनाते हैं और उसी पानी को पीते हैं. चूआड़ी से पानी लेने पहुंची मीणा देवी बताती है "बरसात के दिन में तो घर की खपड़े से आने वाले पानी को छान कर पीते हैं. हम लोग इस पानी के कारण कई बार बीमार पड़ जाते है और साथ ही कई लोग तो नदी में पानी के कारण बहकर मौत के मुंह में समा भी गए हैं. हमलोग की बात तो प्रखंड स्तर के पदाधिकारी भी कहां सुनते है की समस्या दूर होगी!" ऐसे में सवाल उठता है की क्या झारखंड की सरकार लगातार जो योजनाएं आम गरीबों के लिए चला रही है, उसे जिला के अधिकारी के आदेश के बाद भी प्रखंड स्तर के पदाधिकारी नहीं उतार पा रहें. आखिर कब तक बिंदा गांव के लोगों को गंदा पानी पिने को विवश होना पड़ेगा?