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रांची/डेस्क: आप सभी ने तो अंजीर का नाम सुना ही होगा. इसे इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. बही से लोग इसका दूध के साथ सेवन करते है. इसे ड्राई फ्रूट या फल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि यह अंजीर वेज है या नॉन-वेज. अंजीर को कुछ लोग नॉन वेग कहते है. अंजीर तो पेड़ों में उगता है, तो आखिर कुह लोग इसे नॉन-वेज क्यों कहते है? आइये आपको इसके पीछे का फैक्ट बताते है. अंजीर मूल रूप से पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया का मूल फल है. इसके सेवन से लोगों को स्वास्थ्य में में काफी फायदा मिलता है. यह काफी रूप से सेहत के लिए गुणकारी है. इससे आपका शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. इससे आपका डायजेस्टीव सिस्टम सही रहता है. इससे हार्ट हेल्थ भी ठीक रहता है. अंजीर के बन्ने के नेचुरल प्रक्रिया पर ही कुछ लोग सवाल खड़ा करते है. इसलिए शाकाहारी लोग इसे खाने से परहेज करते है. बच्चों को उनके स्कूल में ही पॉलिनेशन के बारे में बताया जाता है. इसमें मुख्य रूप से पक्षी, कीड़े, मधुमक्खियों और हवाएं महत्वपूर्ण होते है. अंजीर में पॉलिनेशन में मुख्य रूप से ततैया भूमिका निभाते है. जब अंजीर पेड़ में फलने लगते है, तो उसके छोटे-छोटे फूल के अंदर ततैया घुस जाते है. अगर अंजीर का फूल नर है तो उसके अंदर मादा ततैया अंडा दे देती है. इसके बाद नर ततैया कुछ पराग और अंडा लेकेर उड़ जाता है. वह फिर दूसरे फूलों के पॉलिनेशन में मदद करता है. अगर अंजीर का फूल मादा है तो यह ततैया केवल फल को पॉलिनेट करेगी. वह अंडे दिए बिना ही उसे छोड़ देगी. इस दौरान ततैया अपने पैर, पंख, कभी कभी तो एंटीना भी देते है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रवेश करने की जगह काफी छोटी होती है. इस कारण से कभी कभी पंख हीन ततैया फल के अंदर ही रह जाते है और मर जाते है. इसके बाद अंजीर के अंदर मौजूदा एंजाइम ततैया को तोड़ देते है.इसके बाद बच्चा हुआ अवशेष फल का भोजन बनकर अवशोषित हो जाता है. हालांकि हर अंजीर के अंदर ततैयों के सड़े हुए शरीर नहीं होते हैं. लेकिन कई ऐसे अंजीर भी होते है, जिसमे पॉलिनेशन के बाद कीड़े उसके बहार आ जाते है. ऐसे में यह पहचान पान बड़ा मुश्किल हो जाता है कि आखिर किस अंजीर में ततैया मर गए थे, या किस फल में ततैया नहीं मारा था. इसी कारण से कुछ लोग अंजीर को नॉन-वेग मानते है. लेकिन किसी भी फल के उत्पादन में यह प्रक्रिया नेचुरल होती है.