झारखंडPosted at: अक्तूबर 05, 2024 10 साल पहले शुरू हजारीबाग स्टेशन को सिर्फ दो ट्रेन, 2 साल पहले शुरू गोड्डा को मिली 14 ट्रेनें
10 साल पहले शुरू हजारीबाग स्टेशन को सिर्फ दो ट्रेन
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: गोड्डा में रेल लाइन शुरू हुए दो साल ही हुए हैं और यहां रेलवे यहां से 14वीं ट्रेन शुरू करने जा रहा है. नई ट्रेन गोड्डा से चलकर जसीडीह मधुपुर, न्यू गिरिडीह कोडरमा गया के रास्ते दिल्ली तक जाएगी. वहीं हजारीबाग में रेल लाइन शुरू हुए 10 वर्ष पूरे होने वाले हैं. लेकिन लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए अभी भी यहां के लोगों को इंतजार ही करना पड़ रहा है. जबकि हजारीबाग टाउन स्टेशन से सिर्फ़ कोयले की ढुलाई से प्रत्येक वर्ष 3000 करोड़ रुपए के आमदनी रेलवे को हो रहा है. हजारीबाग वासी इस बात से हैरान है कि सिर्फ एक शहर से 2 साल के भीतर 14 ट्रेन शुरू हो सकती है तो हजारीबाग जैसे झारखंड के प्रमुख ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक नगरी से लंबी दूरी की ट्रेन देने को लेकर रेलवे का नजरिया इतना अपेक्षा पूर्ण क्यों है? कांग्रेस नेता यमुना प्रसाद कहते हैं कि हजारीबाग टाउन स्टेशन से लंबी दूरी की मालगाड़ियां चल सकती हैं. यहां से मालगाड़ी कर्नाटक और असम तक जा सकती हैं. लेकिन लंबी दूरी की ट्रेन नहीं चल सकती हैं. ऐसा क्यों? रेलवे ने मालगाड़ियों के संचालन के लिए सारी सुविधाएं जुटा ली बस हजारीबाग की जरूरतें समझ नहीं आई. क्या यही है सबका साथ सबका विकास? कोडरमा बरकाकाना यात्री ट्रेन और हटिया सांकी ट्रेन को हजारीबाग और रांची तक विस्तार देने के लिए निरंतर मांग उठाई गई है. इंटरसिटी पहले सातों दिन चलती थी अब 5 दिन ही चल रही है. इसे पुनः सातों दिन चलाए जाने की जोरदार मांग यहां के लोग करते आ रहे हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं। जबकि दूसरी ओर दूसरे क्षेत्र पर निरंतर कृपा दृष्टि बरसाए जा रही है। वहां निर्णय फटाफट लिए जा रहे हैं. इतनी विसंगति इतना विरोधाभास क्यों? स्थानीय अधिकारी बताते हैं कि जो मालगाड़ी यहां से चलती है उसके इंजन और वैगन वगैरह का मेंटेनेंस हजारीबाग से बाहर मुगलसराय और पतरातू में होता है. विचार योग्य बातें है रेलवे आज चाह ले तो अविलंब हजारीबाग टाउन से लंबी दूरी की ट्रेन संचालित की जा सकती हैं। इसका भी कोच और इंजन का मेंटेनेंस धनबाद और गया में हो सकता है. जब तक हजारीबाग टाउन स्टेशन में कोचिंग डिपो का कार्य पूर्ण ना हो जाए तब तक ऐसी व्यवस्था की जा सकती है. रेलवे के जानकार बताते है कि बहुत जगह ऐसी व्यवस्थाएं हैं. जसीडीह से चलने वाली लंबी दूरी की कई ट्रेनों का मेंटेनेंस आसनसोल में होता है। लंबी दूरी की मालगाड़ी जब हजारीबाग टाउन स्टेशन से चलाई जा सकती है तो वैकल्पिक व्यवस्था करके लंबी दूरी की मेल एक्सप्रेस और मेमू ट्रेन क्यों नहीं चलाई जा सकती है? रेलवे में लंबे समय तक अपनी सेवा दे चुके बलदेव प्रसाद कहते हैं कि या तो हजारीबाग के लोग अपनी पीड़ा को रेलवे को समझा पाने में सफल नहीं है या रेलवे का इरादा हजारीबाग की पीड़ा को समझ में बिल्कुल नहीं है. दोनों में से कोई एक बात तो अवश्य है.
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