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रांची/डेस्क: कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में खंडपीठ ने सुषमा बड़ाइक के बच्चे के नामांकन से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं. न्यायालय ने यह कहा है कि केवल ईसा मसीह के बड़े-बड़े चित्र और मूर्तियों का स्थापित होना उनके सिद्धांतों का पालन नहीं दर्शाता हैं.
जस्टिस ने स्पष्ट किया कि ईसा मसीह का संदेश शिक्षा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का था, न की केवल व्यापारियों और धनी परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने का. संत जान स्कूल, पुरूलिया रोड द्वारा सुषमा बड़ाइक के बच्चे का नामांकन लेने से इंकार करने के मामले में अदालत ने शिक्षा के समान अवसरों की आवश्यकता पर जोर दिया गया हैं.