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रांची/डेस्क: दिल और दिमाग, हमारे शरीर के दो सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. दिल का कार्य है रक्त की आपूर्ति करना, जबकि दिमाग विचारों, भावनाओं और कार्यों को नियंत्रित करता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इनमें से कौन सा अंग ज्यादा शक्तिशाली है? वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारे शरीर में 100 अरब से अधिक न्यूरॉन्स होते हैं, जिनमें से लगभग 86 अरब दिमाग में और केवल 4-5 हजार दिल में होते हैं.
दिल का असली स्वामित्व
पारंपरिक सोच के विपरीत, रिसर्च से यह खुलासा हुआ है कि दिल केवल दिमाग से आदेश नहीं लेता, बल्कि उसे भी अपने संदेश भेजता है. दिल अपने कार्य को खुद ही संभालता है और दिमाग को निर्देशित करता है. दिल और दिमाग दोनों मिलकर काम करते हैं, लेकिन कभी-कभी दिल अपनी मर्जी से ही धड़कता रहता है, जबकि दिमाग निष्क्रिय हो जाता है.
दिल की ताकत
1960-70 के दशक में हुई एक महत्वपूर्ण रिसर्च में पाया गया कि दिल के पास अपना एक सिस्टम है, जो उसे दिमाग से अलग बनाता है. दिल लगातार दिमाग को संदेश भेजता है और यह संदेश व्यक्ति के व्यवहार और प्रदर्शन पर प्रभाव डालते हैं. दिल जितना जानकारी दिमाग को भेजता है, दिमाग उतनी जानकारी दिल को नहीं देता.
दिल की मेहनत
दिल दिनभर कठिन मेहनत करता है, फिर भी इसकी थकान का एहसास नहीं होता. चाहे आप खड़े हों या बैठे, दिल को हर स्थिति में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए काम करना पड़ता है.
दिल और दिमाग का संबंध
दिल केवल भावनाओं को ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है. हार्मोन के जरिए, दिल न केवल ताकत देता है, बल्कि दिमाग को भी बीमार कर सकता है. इससे स्पष्ट है कि दिल की शक्ति बहुत अधिक है और वह दिमाग पर भी गहरा प्रभाव डालता है. दिल और दिमाग, दोनों मिलकर हमारी ज़िंदगी को संचालित करते हैं, लेकिन क्या हम सही मायने में समझते हैं कि इनमें से कौन ज्यादा ताकतवर है?