न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि बगैर लाइसेंस के खुल रहे नर्सिंग होम और हॉस्पिटलों पर क्या कार्रवाई की जा रही है ? साथ ही अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को ड्रेस कोड का पालन करने की नसीहत दी. स्वास्थ्य सचिव हाईकोर्ट के समक्ष फॉर्मल ड्रेस में उपस्थित हुए थे. कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि नर्सिंग होम और हॉस्पिटलों में फायर फाइटिंग की सुविधा और बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम की व्यवस्था है या नहीं इसकी भी जानकारी दें. कोर्ट ने इन दोनों बिंदुओं पर स्वास्थ्य सचिव से विस्तृत जवाब मांगा है.
कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से मौखिक में कहा कि राजधानी रांची सहित झारखंड के कई जिलों में बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम और हॉस्पिटलों कैसे संचालित हो रहे हैं. इस पर स्वास्थ्य सचिव की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अस्पताल और नर्सिंग होम को खोलने के लिए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पहले प्रोविजनल लाइसेंस मिलता है, बाद में इन्हें स्थाई लाइसेंस दिया जाता है. लेकिन नर्सिंग होम और हॉस्पिटलों को स्थाई लाइसेंस देने में समय की अवधि ज्यादा लग जाती है जिस कारण बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल संचालित हो रहे हैं. इस पर कोर्ट ने उनसे कहा कि आप मानते हैं कि इसमें सरकार की गलती है, आप इंस्पेक्शन क्यों नहीं करते हैं? जिससे अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों पर रोक लग सके. कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को हॉस्पिटलों के लाइसेंस के संबंध में कानून का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया.