आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा की ये खबर आपको चिंता में डाल सकती हैं. सिमडेगा में हरेक 19 हजार व्यक्ति का स्वस्थ सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे हैं. डॉक्टर्स की घोर कमी के बीच सिमडेगा में स्वास्थ्य सेवा राम भरोसे चल रहा है और सरकार भी सिमडेगा के स्वास्थ्य के प्रति उदासिनता बरतती नजर आ रही हैं.
सिमडेगा में स्वास्थ्य सुविधा है राम भरोसे। जिला डाक्टरों की घोर कमी से जुझ रहा हैं. सिमडेगा जिला की कुल आबादी 599578 हैं. जिले के इन आबादी को स्वस्थ रखने के लिए जिले में कुल 07 सीएचसी, 07 पीएचसी, 155 उप स्वास्थ्य केंद्र और 01 सदर अस्पताल हैं. इस सभी स्वस्थ केंद्रों और अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा को सुचारू संचालित रखने के लिए सिमडेगा जिले में कुल 118 डॉक्टर की जरूरत है लेकिन वर्तमान में यहां 118 डॉक्टर की जगह महज हैं. 32 डॉक्टर पदस्थापित हैं. अब ऐसे में कैसे लड़ेगा सिमडेगा बिना डॉक्टर के स्वास्थ्य की जंग. सिमडेगा में बड़ी और शानदार अस्पताल की बिल्डिंग और हर तरह के आधुनिक स्वास्थ्य उपकरण से सुसज्जित सदर अस्पताल डॉक्टर की कमी केनकरन आज महज हाथी दांत बनता जा रहा हैं. यहां डाक्टरों की घोर कमी हो गई हैं. जिसके कारण यहां हरेक सुविधा होते हुए भी इसका संपूर्ण लाभ यहां की गरीब आदिवासी जनता को नहीं मिल पा रहा हैं. डॉक्टर की कमी के बीच सिमडेगा में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा यहां की गरीब जनता को मुहैया कराने में स्वास्थ्य विभाग के पसीने छुट रहे हैं.
सिमडेगा सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान भी जिले में डॉक्टर की घोर कमी की बात को स्वीकारते है हालांकि उन्होंने अपने विभाग की इज्जत बचाते हुए कहा कि डॉक्टर की कमी के बावजूद जिले वासियों को स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है लेकिन 118 की जगह महज 32 डॉक्टर कितना अच्छा स्वस्थ सुविधा प्रदान कर रहे होंगे ये समझा जा सकता हैं.
जिले के दोनो विधायक भी स्वास्थ्य मंत्रालय से सिमडेगा के लिए डॉक्टर्स की मांग कर चुके है लेकिन सरकार के स्तर से अभी तक कोई ठोस पहल इस दिशा में होती नजर नहीं आ रही हैं. जिले में डॉक्टर के अभाव ने अब तो सिमडेगा में लोगों के स्वास्थ्य को रामभरोसे लाकर खडा कर दिया हैं. एक तरफ झारखंड सरकार आदिवासी हित की बात करते हुए आदिवासियों को हर तरह की सुविधा देने की बात करती हैं. दूसरी तरफ एक आदिवासी बहुल जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार उदासीन बनी हुई हैं. आखिर यहां के आदिवासी जनता बीमार होने पर कहां जाएगी. यहां तो अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसी बीमार होने पर ईलाज के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं.
डॉक्टर की कमी से जुझते सिमडेगा की तरफ जिले के विधायकों और सुबे के युवा मुख्यमंत्री को नजरे ईनायत करनी होगी. जिससे यहां के गरीब आदिवासियों को बेहतर स्वास्थ्य का भी लाभ मिल सके. सरकार अगर जल्द इस जिले के स्वास्थ्य के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी तो वह दिन दुर नहीं जब ईलाज के अभाव में लोग मरना शुरू हो जाएगें और स्थित भयावह हो जाएगी.