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'रिश्वत' नहीं देने पर अंचलों में लटक रहे लाखों की तादाद में म्यूटेशन के आवेदन, DC नैंसी की 'आंखे' क्यों है बंद? बाप ना भैया सबसे बड़ा रुपया ?

जिले में जमीन दलालों के इशारे पर हो रहा जमीनों का दाखिल खारिज और LPC निर्गत करने का खेल
'रिश्वत' नहीं देने पर अंचलों में लटक रहे लाखों की तादाद में म्यूटेशन के आवेदन, DC नैंसी की 'आंखे' क्यों है बंद? बाप ना भैया सबसे बड़ा रुपया ?
प्रशांत शर्मा / न्यूज11 भारत

हजारीबाग/डेस्कः जिला में डीसी नैंसी सहाय के कार्यकाल में अंचलों में अंचलाधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार का नंगा नाच रहे हैं.  उपलब्ध तथ्य यह चीख चीख कर लोगो को बता रहे या तो वर्तमान डीसी नैंसी सहाय का किसी भी अंचलाधिकारी पर नियंत्रण नहीं है या फिर अंचलों में जमीन के खेल में हो रही मोटी कमाई में उनकी भी हिस्सेदारी है. अंचलों में हो रहे जमीन का खेल जिस कदर उफान मार रहा है और डीसी की इस ओर अनदेखी उन्हें सवालों के घेरे में ला रही है. उनके कार्यकाल में एक भी अंचल का औचक निरीक्षण किया गया हो यह भी कभी सामने नहीं आया है. 

हजारीबाग में 1.89 लाख आवेदनों में से मात्र 86.5 हजार का म्यूटेशन

शायद पूरे झारखंड में हजारीबाग एकमात्र ऐसा जिला होगा जहां जमीन दलाल तय करते हैं किस आवेदक के जमीन का दाखिल खारिज होगा और किसका नहीं होगा. कारण यही है कि अंचलों में थोक भाव से जमीनों के म्यूटेशन, एलपीसी निर्गत करने के आवेदन रिजेक्ट कर दिए जा रहे हैं. लाखों की तादाद में आवेदन कार्रवाई के अभाव में लंबित पड़े हुए हैं. आश्चर्य की बात है कि इन तमाम तथ्यों से कागजी तौर पर अवगत होने के बावजूद वर्तमान DC नैंसी सहाय की ओर से आजतक न किसी अंचलाधिकारी के खिलाफ कारवाई की गई और न सरकार को रिपोर्ट भेजी गई. न तो उन्होंने कभी किसी अंचल का औचक निरीक्षण कर जांच की कोशिश ही की. तमाम तथ्य इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कहीं न कहीं डीसी भी इस खेल में शामिल हैं. उनकी चुप्पी तो सीधे तौर पर इस ओर ही इशारा कर रही है.  

सरकारी रिपोर्ट पर ही यदि यकीन किया जाए तो खुलासा होता है कि जिले के सभी 16 अंचल में 1 लाख 89 हजार 855 आवेदन दाखिल खारिज के लिए अंचल अधिकारियों ने लंबित कर रखा है. जबकि 94 हजार 652 आवेदन को बिना उचित कारण बताए ही अंचल अधिकारियों ने रिजेक्ट कर दिया है. यह आंकड़ा ही चौंकाने वाला है, जो चीख-चीखकर बता रहा कि डीसी नैंसी सहाय के कार्यकाल में अंचल के अधिकारी और कर्मचारी किस कदर निरंकुश हो गए हैं. उनमें सरकार की कार्रवाई तक का भय नहीं है. अंचलों में दाखिल खारिज, एलपीसी( भू स्वामित्व प्रमाण पत्र) के लंबित आवेदन, रिजेक्ट आवेदन की लाखों की संख्या इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि पूरे मामले की एसीबी या किसी अन्य बड़ी जांच एजेंसी से तहकीकात कराई जाए तो बड़ी संख्या में अधिकारी सलाखों के पीछे होंगे. 


जो अंचल एलपीसी निर्गत करता वहीं लगा देता दाखिल खारिज में अड़ंगा 

अंचल के अधिकारियों के भी खेल निराले है. जो अंचल भू-स्वामी को एलपीसी निर्गत करता है वहीं अंचल रजिस्ट्री के बाद दाखिल खारिज को रिजेक्ट कर देता है. यह सवाल ही अंचल में हो रहे पैसे के खेल का खुलासा कर देता है. किसी भी जमीन की रजिस्ट्री के पहले भू-स्वामी को अंचल से एलपीसी प्राप्त करना होता है. एलपीसी का आवेदन आने के बाद अंचल के कर्मचारी स्थल निरीक्षण करते हैं. वे अपनी रिपोर्ट राजस्व इंस्पेक्टर को देते हैं. दोनों की रिपोर्ट के बाद अंचलाधिकारी एलपीसी निर्गत करते है. इसके बाद ही किसी जमीन की रजिस्ट्री संभव होती है. अब यदि रजिस्ट्री हो जाती तो एलपीसी निर्गत करने वाले कर्मचारी, राजस्व इंस्पेक्टर और अंचल अधिकारी दाखिल खारिज को रिजेक्ट कर देते हैं. तो यह कैसे होता. यह खुद में सवाल है. जब आपने उसी जमीन के लिए तमाम जांच प्रक्रिया के बाद एलपीसी निर्गत कर दिया तो फिर दाखिल खारिज रिजेक्ट क्यू कर रहे. यह सवाल ही अंचल में व्याप्त करपसन को चीख-चीखकर बता रहा है.  

म्यूटेशन के पहले जमीन रजिस्ट्री लेने तक क्रेता और विक्रेता को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ताकि गलत रजिस्ट्री ना हो जाए. इसके लिए लैंड पोजिशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है जो अंचल कार्यालय से निर्गत होता है. इसमें संबंधित राजस्व कर्मचारी एवं अंचल निरीक्षक और सीओ की अहम भूमिका होती है. फिर बायलैंड पोजिशन सर्टिफिकेट अर्थात एलपीसी निर्गत होने के बाद ही रजिस्ट्री होती है. रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू होती है. जिसे पुनः वहीं अंचल कार्यालय पूरा करता है जहां से एलपीसी निर्गत हुआ होता है. बाद में वहीं अंचल जमीन के कागजात में गड़बड़ी की बात बताकर दाखिल खारिज के आवेदन को रिजेक्ट कर दे रहा है. सवाल उठना लाजिमी है कि जब कागजात में कमी थी तो एलपीसी कैसे निर्गत कर दिया गया. एलपीसी निर्गत करने के दरमियान ही इन तथाकथित गड़बड़ी को नजर अंदाज क्यों कर दिया हैं. कई ऐसे सवाल है जो अंचल के खेल का खुलासा कर रहे है. 

हैरत करने वाली बात तो यह है कि जिले के सभी 16 अंचल के अधिकारियों ने अपने ही अंचल से अपने ही द्वारा जारी किए गए लगभग 94 हजार 652 एलपीसी को रिजेक्ट या रद्द कर दिया है. कभी डीसी, अपर समाहर्ता स्तर पर यह मालूम करने या जांच बिठाने की कोशिश नहीं की गई. कि आखिर इतने बड़े तादाद में अंचलों से निर्गत एलपीसी कैसे रिजेक्ट कर दिए गए. यदि एलपीसी गलत ढंग से जारी किए गए तो इसके लिए कौन जिम्मेवार है? आजतक गलत एलपीसी निर्गत करने वाले अंचलाधिकारी, राजस्व इंस्पेक्टर, कर्मचारी के खिलाफ न तो सरकार को रिपोर्ट की गई और न ही उनके खिलाफ कोई कारवाई की गई. 

प्रत्येक अंचल में हर महीने 50 लाख से एक करोड़ की उगाही

विश्वस्त सूत्रों की बात भी कम चौंकाने वाले नहीं है. हजारीबाग जिले के डीसी, अपर समाहर्त्ता से लेकर राजधानी रांची में बैठे अधिकारी ऐसे अंचलों में व्याप्त भ्रष्टाचार के प्रति आंखे मूंदे नहीं रहते. अपने पसंद के अधिकारियों को अंचलों में पदस्थापित नहीं करते. दरअसल इसके पीछे का खेल अंचल में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध वसूली है. सूत्र बताते हैं कि अंचल में होने वाली लाखों और सब अंचल को मिलाकर होने वाली करोड़ों की कमाई में जिले के डीसी, अपर समाहर्त्ता से लेकर रांची में विभागीय सचिव से लेकर विभागीय मंत्री तक की हिस्सेदारी होती है. सूत्र यह भी बताते हैं कि मंत्री और सचिव स्तर से इस अंचलों में हो रही इस अवैध कमाई का हिस्सा मुख्यमंत्री तक भेजा जाता है.  


हजारीबाग के कई अंचलों का ईडी गोपनीय स्तर पर लिया है जायजा

सूत्र बताते हैं कि हाल के दिनो में रांची से ईडी के एक बड़े अधिकारी के निर्देश पर ईडी की अलग-अलग टीमों ने जिले के प्रायः सभी अंचलों का जायजा लिया था. कई पीड़ित लोगों से पूछताछ भी की थी, उनका बयान लिया था कि उनके दाखिल खारिज के आवेदन कितने दिनों से लंबित है. काम करने के लिए अंचल से कितने पैसे की डिमांड की जा रही. ईडी की टीम ने अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी है. ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अंचलों से प्रत्येक माह कितने की अवैध वसूली हो रही. इस मोटी अवैध कमाई का हिस्सा किन-किन अधिकारियो के पास जा रहा और ये पैसे कहा और किस माध्यम से निवेश किए जा रहे हैं.  

दाखिल खारिज/एलपीसी निर्गत करने में 5 से 10 हजार की वसूली

सूत्र बताते हैं कि किसी भी अंचल में एक डिसमिल जमील का दाखिल खारिज करवाने या एलपीसी निर्गत करवाने के लिए आवेदक को कर्मचारी के माध्यम से पांच हजार रुपए का भुगतान करना पड़ता है. बिना पैसा दिए एक भी दाखिल खारिज नहीं किया जाता और न ही एलपीसी निर्गत किया जाता है. अंचल में प्रत्येक माह कम से कम 22 एकड़ जमीन का दाखिल खारिज किया जाता या एलपीसी निर्गत किया जाता है. एक कट्ठा में 4 डिसमिल जमीन होते. यदि एक कट्ठा जमीन के लिए 40 हजार की वसूली होती तो समझा जा सकता है कि प्रति माह 22 एकड़ जमीन का दाखिल खारिज एलपीसी निर्गत करने में अंचलों को कितनी कमाई होती होगी.
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