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रांची/डेस्क: दशहरे का त्योहार देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जहां रावण के पुतलों का दहन किया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ में दशहरे के दिन एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है, जो दशकों से चली आ रही हैं. यहां रावण के पुतले को दहन से पहले शराब पिलाई जाती है और पुतले को खड़ा करने की जगह पर भी शराब के छींटे डाले जाते हैं.
64 साल से चल रही यह अनोखी परंपरा
दरअसल, मेरठ के भैंसाली मैदान में श्रीराम लीला कमेटी छावनी परिषद हर साल रामलीला का आयोजन करती हैं. यहां 64 साल से रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जा रहा हैं. इस रामलीला में रावण के 130 फीट, कुंभकरण के 120 फीट और मेघनाद के 110 फीट ऊंचे पुतले बनाए जाते है लेकिन खास बात यह है कि इन पुतलों को खड़ा करने से पहले उन्हें शराब पिलाई जाती हैं.
शराब न पिलाने पर पुतला नहीं खड़ा होता
श्रीराम लीला कमेटी के महामंत्री गणेश अग्रवाल बताते है कि यह परंपरा तब शुरू हुई जब दो बार रावण के पुतले को बिना शराब पिलाए खड़ा करने की कोशिश की गई लेकिन पुतला खड़ा ही नहीं हो पाया. जब पुराने बुजुर्गों ने सुझाव दिया कि पुतले को शराब पिलाई जाए, तब जाकर पुतला खड़ा हुआ. तब से यह टोटका हर साल दोहराया जाता हैं.
रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को दी जाती है शराब
इस परंपरा के अनुसार, रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को भी खड़ा करने से पहले शराब पिलाई जाती हैं. यह मान्यता है कि बिना इस टोटके के पुतले खड़े नहीं हो पाते. रामलीला कमेटी के अनुसार, यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और अब इसका पालन हर साल किया जाता हैं.
दशहरे का आयोजन और पुतला दहन
हर साल दशहरे के दिन शाम के समय रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन भैंसाली मैदान में किया जाता हैं. हजारों लोग इस आयोजन में हिस्सा लेते है और रामलीला के मंचन के बाद बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता हैं.