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रांची: प्रधानमंत्री मोदी जी ने बताया कि 22 जुलाई 1947 को तिरंगा बना था और हमारे झंडे को पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार फहराया था. हम आज जिस तिरंगे पर गर्व करते हैं, जो हमारे देश की आन,बान,शान है वह आज ही के दिन यानि 22 जुलाई को भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना था. दरअसल 22 जुलाई 1947 को ही भारत ने तिरंगे को अपना राष्ट्रीय झंडा माना था. इसी के बारे में जानकारी देते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा की "आज 22 जुलाई का हमारे इतिहास में विशेष महत्व है. 1947 में आज ही के दिन हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अंगीकार किया गया था.
कैसे बना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
22 जुलाई1947 को संविधान सभा ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के कमिटी की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया था. जिसे पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था.
5 साल लगा तिरंगा बनाने में
पिंगली वेंकैया की गांधी जी से मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. इस दौरान वेंकैया ने अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो गांधीजी को अच्छी लगी. बापू ने उन्हें राष्ट्रध्वज डिजाइन करने का काम सौंपा दिया. जिसके चलते वह भारत वापस लौट आए और इस पर काम शुरू कर दिया. पिंगली वेंकैया ने लगभग 5 सालों के अध्ययन के बाद तिरंगे का डिजाइन तैयार किया। इसमें उनका सहयोग एस.बी.बोमान और उमर सोमानी ने दिया और उन्होंने मिलकर नैशनल फ्लैग मिशन का गठन किया।
कई बार हुए बदलाव
झंडा डिजाइन करते वक्त पिंगली वेंकैया ने गांधी जी से सलाह मांगी। उन्होंने ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो पूरे राष्ट्र की एकता का प्रतीक है. पिंगली वेंकैया ने पहले हरे और लाल रंग के इस्तेमाल से झंडा तैयार किया था, मगर गांधीजी को इसमें संपूर्ण राष्ट्र की एकता की झलक नहीं दिखाई दी और फिर झंडे में रंग को लेकर विचार-विमर्श हुआ. आखिर में साल 1931 में कराची कांग्रेस कमिटी की बैठक में उन्होंने ऐसा ध्वज पेश किया जिसमें बीच में अशोक चक्र के साथ केसरिया, सफेद और हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था.
हमें हमारा राष्ट्रीय ध्वज छठवीं बार में मिला था
तिरंगे से पहले देश को पांच और झंडे मिले थे. भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को सामने आया था. इसे तत्कालीन कलकत्ता के पारसी बगान चौक में फहराया गया था. दरअसल यह भी एक तिरंगा था, लेकिन इसमें हरे, पीले और लाल रंग की पंट्टियां थीं. हरे रंग की पट्टी में आठ कलम के फूल, लाल रंग की पट्टी में चांद और सूरज और बीच में पीले रंग की पट्टी में 'वंदे मातरम्' लिखा हुआ है.
भारतीय इतिहास में मैडम भीखाजी कामा ने देश का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में 1907 में फहराया. यह ध्वज काफी कुछ 1906 के झंडे जैसा ही था, लेकिन इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी का रंग केसरिया था और कमल के बजाए सात तारे सप्तऋषि प्रतीक थे. नीचे की पट्टी का रंग गहरा हरा था जिसमें सूरज और चांद अंकित किए गए थे.
1917 में देश को मिला तीसरा झंडा
1917 में देश को में तीसरा झंडा मिला. इसे होम रूल आंदोलन के दौरान फहराया गया था. इस झंडे में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां थीं. जिसके अंदर सप्तऋषि के सात सितारे थे. बांयी और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक भी मौजूद था. एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.
देश का चौथा झंडा साल 1921 में मिला
देश का चौथा झंडा साल 1921 में सामने आया. विजयवाड़ा में हुए भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में एक झंडे का इस्तेमाल किया गया जिसे चौधा राष्ट्रीय ध्वज कहा गया. तीन रंगों की पट्टियों में गांधीजी के चरखें के प्रतीक को दर्शाया गया था. इस झंडे में तीन रंग-सफेग रंग के अलावा लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है.
1931 में देश को पांचवा झंडा मिला
1931 में देश को पांचवा झंडा मिला था .जिसका स्वरूप अभी तिरंगे जैसा ही कुछ कुछ मिलता जुलता था.
1947 में देश को छठा झंडा मिला
1947 में अपनाए गए हमारे राष्ट्रीय ध्वज का स्वरूप काफी कुछ 1931 में अपनाए गए राष्ट्रीय ध्वज जैसा ही है. इस झंडे में तीन रंग- केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं. सफेद पट्टी के बीचों-बीच गांधी जी के चरखा का प्रतीक बनाया गया था.