वेद प्रकाश/न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- जम्मू-कश्मीर जब से केन्द्र शासित प्रदेश बना, उसके बाद आतंकी घटनायें में काफी कमी आई हैं. गाहे-बगाहे ही छिटपुट घटनायें सुनने या देखने को मिलती थी. जम्मू-कश्मीर अमन और चैन की राह पर लौटने लगा और खूबसूरत वादियों में फिल्मी शूटिंग के साथ ही पर्यटकों का रूख होने लगा. यहां की फिजाओं में मोहब्बत गूंजने लगी थी... पर्यटक आने लगे तो रोजगार भी बढ़ा, लेकिन बीते कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में एक डर का माहौल होने लगा है. लोगों के मन में दहशत सी होने लगी है.
बीते कुछ दिनों से लगातार आतंकी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. 9 जून 2024 को रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला, कठुआ में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, उससे ठीक पहले कठुआ में ही सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया. 11 जून की रात आतंकवादियों ने पुलिस के कई वाहनों पर हमला किया. उन वाहनों में डीआईजी और एसएसपी रैक के अधिकारी बैठे थे.हालांकि वो बचकर निकलने में कामयाब रहे, जबकि पांच जवान और एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया. बीते 4 दिनों में 5 बार से ज़्यादा दहशतगर्द और सुरक्षाबल आमने सामने हुए.
बहुत सीधी सी बात है कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई और आतंकियों की बौखलाहट की वजह से ये आतंकी घटनायें हो रही हैं. दरअसल आतंकियों को बीते दिनों हुए चुनाव में दहशत फैलाना मकसद था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान ने सीमापार बौखलाहट बढ़ा दी. इस तरह के हमलों का मकसद साफ है. पाकिस्तान चाहता है कि तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद देशभर में सांप्रदायिक तनाव फैले. 29 जून से 52 दिनों की अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है. वहीं श्रीनगर के खीर भवानी मंदिर में वार्षिक पूजा के लिए कश्मीरी हिंदूओं की लगातार भारी भीड़ उमड़ रही है. ऐसे में शांति भंग कर दहशत फैलाना ही आतंकियों का मकसद है, ताकि न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि देश की शांति भंग हो.