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झारखंड


स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का शहादत दिवस 16 अप्रैल को: ठाकुर प्रवीर नाथ शाहदेव

स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का शहादत दिवस 16 अप्रैल को: ठाकुर प्रवीर नाथ शाहदेव

न्यूज 11 भारत

रांची/डेस्क: अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी महाराजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त 1817 में सतरंजी गढ़,(आज का एच ई सी कारखाना ) में हुआ था. इनके पिता तत्कालीन बडका गढ़ स्टेट के महाराजा ठाकुर रघुनाथ शाह देव थे, माता पोड़ाहाट राज परिवार की राजकुमारी थी पिता की मृत्यु के पश्चात 1840 में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव बडका गढ़ स्टेट के उतराधिकारी वंशज के रूप में महाराजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने अपने कार्यकाल में हटिया में बडका गढ़ स्टेट की राजधानी हटिया में हटिया गढ़ स्थापित कर किया.1857 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विद्रोही सिपाहियों ने ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को अपना नेता चुना और ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नेतृत्व में छोटानागपुर राज्य की ओर से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया. इनके प्रमुख सहयोगी में पाण्डेय गणपत राय, टिकैत उमराव सिंह, पितांबर निलांबर,शेख भिखारी जैसे जाबांज योद्धा थे. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नेतृत्व में छोटानागपुर को अंग्रेजी हुकूमत से छह महीने तक आजाद करा लिया था और ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने छोटानागपुर का स्वतंत्र महाराजा के रूप में छोटा नागपुर का राज्य का संचालन किया था.
 
इतिहासकारों का मानना है कि अगर ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव छोटानागपुर में रहते और छोटानागपुर छोड़ कर दिल्ली की ओर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने नहीं जाते तो दुबारा अंग्रेजी हुकूमत दोबारा छोटानागपुर में कब्जा नहीं कर पाता. लेकिन स्वतंत्रता सेनानीयों का आपसी तालमेल की कमी के कारण स्वतंत्रता आंदोलन असफल रहा और 16 अप्रेल 1858 को अमर शहीद महाराजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को जिला स्कूल रांची के प्रांगण में कदम के पेड़ में फांसी दे दी गई. उनकी पत्नी महारानी वानेश्वरी कुंवर ने अपने एकलौता बेटा ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव को लेकर अज्ञात वास में चली गई. अंग्रेजी हुकूमत ने हटिया गढ़ को चौबीस घंटे में तोप से ध्वस्त कर दिया एवं बडका गढ़ स्टेट को अपने अधीन कर लिया और खेवट दार के एक स्थान में अपना नाम सेक्रेटरी फार स्टेट इन इंडिया दर्ज कर लिया और ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के उतराधिकारी को ही मुल मालिक मानते हुए लगान असुलने लगा और असुले गये लगान का एक छोटा हिस्सा महारानी वानेश्वरी कुंवर व ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव को देने की व्यवस्था कर दिया, जो पिढी दर पीढ़ी स्वतंत्रता के पुर्व तक मिलता रहा. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में एक मकान बना कर रहने की व्यवस्था कर दिया. जहां महाराज ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के वर्तमान उतराधिकारी वंशज आज भी रहते हैं. झारखंड की स्थापना के पश्चात महाराजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के उतराधिकारी वंशजो को बड़कागढ़ स्टेट को नियमानुसार झारखंड सरकार द्वारा मान्यता देने का निर्णय किया गया. लेकिन राजस्व विभाग झारखंड के द्वारा आदेश को लागू  नहीं करने पर  उच्च न्यायालय झारखंड में उनके प्रत्यक्ष उतराधिकारी ठाकुर प्रवीर नाथ शाहदेव ने रिट याचिका दायर किया है. जिसका नम्बर डब्लू पी सी नंबर 5304/13 लाल प्रवीर नाथ शाहदेव बनाम झारखंड सरकार वैगरह है.
 
एक अंतरिम आदेश में झारखंड सरकार ने अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के देश लिए बलिदान देने के सम्मान में एक सम्मान राशि उतराधिकारियों को प्रदान किया है. अभी वर्तमान में बड़का गढ़ स्टेट की भुमि में राजस्व दस्तावेज पर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के उतराधिकारीयों का नाम दर्ज करने के संदर्भ में उच्च न्यायालय झारखंड में उपरोक्त रिट याचिका विचाराधीन है. विगत दिनों उपरोक्त संदर्भ में खिजरी विधायक राजेश कच्छप  ने झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उठाया था. जिस पर राजस्व मंत्री ने जबाव दिया था और उच्च न्यायालय झारखंड ने भी उपरोक्त रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन सप्ताह के अन्दर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. उम्मीद है जल्द ही उच्च न्यायालय का सकारात्मक आदेश पारित हो जाएगा और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में झारखंड के संदर्भ में अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानीयों को उचित सम्मान के लिए नितिगत निर्णय ले कर झारखंड सरकार के द्वारा झारखंड सेनानी कोष संचालन समिति का गठन  मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में किया गया है. जिसमें शहीदों को उचित सम्मान, शहीद परिजनों का कल्याण, एवं शहीदों के गांव का विकास करना मुख्य है अमर शहीदों को उचित सम्मान देने की दिशा में झारखंड सरकार धिरे धिरे अग्रसर है.
 
 
 
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आज झारखंड मुक्ति मोर्चा के महाधिवेशन पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि महाधिवेशन में झारखंड कल्याण को छोड़ सिर्फ परिवार कल्याण पर अमल किया गया. प्रतुल ने कहा भाजपा लंबे समय से कह रही थी कि झामुमो का अगला अध्यक्ष भी सोरेन परिवार से ही होगा. और हुआ भी वही.मुख्यमंत्री के पास बहुत बेहतर अवसर था कि वह अपने दल के किसी समर्पित वरिष्ठ कार्यकर्ता को अध्यक्ष बना सकते थे. लेकिन मुख्यमंत्री पद की बड़ी जिम्मेवारी होने के बावजूद भी उन्होंने किसी पर विश्वास करना उचित नहीं समझा. प्रतुल ने कहा कि परिवारवादी पार्टियों में यही होता है अध्यक्ष समेत तमाम प्रमुख पदों पर परिवार के ही सदस्यों को बैठाया जाता है.आम कार्यकर्ता को सिर्फ हाथ उठाने के लिए बुलाए जाते हैं.