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रांची/डेस्क: रांची विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों की बैठक ऑक्सीजन पार्क, मोराबादी में संपन्न हुई. जिसमें झारखंड सरकार के द्वारा रांची विश्वविद्यालय में हो रहे नीड बेस्ड शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया को रोक दिया गया है, जिसका स्वागत अतिथि शिक्षक संघ ने किया है. इस पर संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि हम लोगों की मांग शुरू से रही है कि हमारा समायोजन नीड बेस्ड शिक्षकों के साथ किया जाए जिसको लेकर हम माननीय उच्च न्यायालय के शरण में भी है. इस नियुक्ति प्रक्रिया से हम अतिथि शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा था, 8 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे अतिथि शिक्षकों का हक मार कर नीड बेस्ड शिक्षकों की बहाली की जा रही थी और हमें काम करने से रोका जा रहा था. अब इस पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार अतिथि शिक्षकों से संबंधित पिछला वर्ष अक्टूबर में पारित संकल्प 1609 पर पुनर्विचार करते हुए हमारी समस्याओं का जल्द से जल्द निवारण करें.
वहीं डॉ ताल्हा नकवी ने कहा कि नीड बेस्ड शिक्षक तथा अतिथि शिक्षक दोनों अस्थाई व्यवस्था है इसके बावजूद इस नियुक्ति प्रक्रिया के कारण हमें काम करने से रोका गया, जिसके कारण कई महाविद्यालयो में कक्षाएं वर्तमान समय में पूरी तरह ठप हैं. वही डॉ धीरज सिंह सूर्यवंशी ने कहा कि हमारे कुलपति महोदय राजभवन जाकर सरकार के निर्णय के विरुद्ध शिकायत कर रहे हैं, कि शिक्षकों की कमी है नयी बहाली करनी चाहिए और दूसरी ओर पहले से कार्यरत हम शिक्षकों को काम करने से रोक रहे हैं, विश्वविद्यालय का यह दोहरा चरित्र को समझना चाहिए.
इसलिए सरकार जल्द से जल्द इस पर विचार करते हुए पहले से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को सम्मान पूर्वक कार्य करने का स्पष्ट निर्देशन दे. बैठक में अन्य कई बिंदुओं पर चर्चाएं हुई एवं निर्णय लिया गया कि हमारे खिलाफ हो रहे अन्याय का पुरजोर विरोध किया जाएगा एवं जरूरत पड़ने पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा. ज्ञातव्य है कि वर्तमान में 124 अतिथि शिक्षक रांची विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं, जिनको उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के भ्रामक संकल्प संख्या 1609 का हवाला देते हुए रांची विश्वविद्यालय के द्वारा काम करने से रोक दिया गया है, जबकि इन्हें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक नहीं हटाने का निर्देशन है उसके बावजूद रांची विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा मौखिक आदेश के द्वारा संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों ने काम करने से रोक रहे हैं. जबकि यही अतिथि शिक्षकों के भरोसे पिछले सात आठ वर्षो से सभी प्रकार के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्य संचालित हो रहे थे.