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बगोदर/डेस्क: मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत काम करने वाले मजदूरों और कर्मियों के लिए यह त्यौहारी मौसम मुश्किलों भरा साबित हो रहा है. मजदूरों को तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली है, वहीं बगोदर के मनरेगा कर्मियों को पिछले 14 महीनों से मानदेय नहीं दिया गया है. ऐसे में होली और ईद की खुशियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
मजदूरी भुगतान में देरी से बढ़ी मजदूरों की परेशानियां
बीपीओ अजय कुमार यादव और मोहम्मद फरीदुल हसन के अनुसार, मजदूर लगातार भुगतान के लिए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. मजदूरी भुगतान की फंड ट्रांसफर ऑर्डर (FTO) प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अब तक उनके खाते में पैसे नहीं पहुंचे हैं. इससे हजारों मजदूर परेशान हैं, जो पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं.
सामग्री भुगतान भी लंबित, आपूर्तिकर्ताओं को भारी नुकसान
मजदूरी के अलावा, मनरेगा के तहत सामग्री आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ताओं को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है. पिछले आठ महीनों से सामग्री का भुगतान रुका हुआ है, जिससे वे आर्थिक तंगी में आ गए हैं. न केवल मजदूर, बल्कि छोटे आपूर्तिकर्ता भी इस देरी के कारण हलकान हैं.
त्योहारों की खुशियां धूमिल, मजदूर बोले- 'रंग-गुलाल और सेवइयां कैसे खरीदें?'
होली और ईद के त्योहार नजदीक हैं, लेकिन मजदूरों के घर में खुशियों की जगह चिंता ने ले ली है. कई मजदूरों का कहना है कि उनके पास घर चलाने के भी पैसे नहीं हैं, तो त्योहार कैसे मनाएं? मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों और कर्मियों को समय पर भुगतान मिलना उनका हक है, लेकिन लगातार देरी के कारण उनका जीवन प्रभावित हो रहा है. मजदूरों और कर्मियों ने सरकार से जल्द से जल्द भुगतान कराने की मांग की है, ताकि वे भी त्योहारों की खुशियों में शामिल हो सकें. सरकार को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है, ताकि मेहनतकश मजदूरों और मनरेगा कर्मियों को उनका हक मिल सके और वे अपने परिवार के साथ त्योहार की खुशियां मना सकें.