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रांची/डेस्क: राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में कई दिनों से मानसून सुस्त पड़ा हुआ है. झमाझम बारिश से शहरवासियों को राहत मिली है. हालांकि, पिछले 24 घंटे में राज्य में बारिश नही हुई है. आज भी बारिश के आसार न के बराबर है. झारखंड में अगले कुछ दिनों तक मौसम खुशनुमा रहेगा. मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने साइक्लोनिक सरकुलेशन का असर फिलहाल काफी कमजोर हो चुका है. इसलिए इसका असर न के बराबर देखा जा रहा है. वहीं अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी की भी संभावना है. 3-4 अक्टूबर के बीच सूबे के कहीं-कहीं हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है. ऐसे अभी मौसम में खास बदलाव का संकेत नहीं है.
मानसून की वापसी हुई शुरू
बता दें कि मानसून की वापसी की शुरूआत हो चुकी है. जबकि इस साल मानसून एक हफ्ते देर से वापसी कर रहा है. दक्षिण-पश्चिमी मानसून राजस्थान और कच्छ से वापस हो गया है. हालांकि, मानसून की वापसी के लिए स्थिति सकारात्मक बनी हुई है. देश के कई अन्य हिस्सों में मानसून की बारिश जारी रहेगा.
वहीं, देश में आमतौर पर मानसून अक्टूबर के मध्य में विदा लेता है. 5 अक्टूबर तक भारत के आधे जगहों में मानसून की बारिश खत्म हो सकती है. इस दौरान झारखंड समेत मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल में हल्की बारिश देखने को मिल सकती है. इस बार देश में मानसून की बारिश जमकर हुई. देश के सारे हिस्सों में मानसून की बारिश ने अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया.
आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम का हाल
इस साल देश में ला नीना की वजह से कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है. इसके वजह से ही बारिश का दौर अक्टूबर तक खिंच सकता है. और कड़ाके की ठंड लोगों को परेशान करेगी. इस साल पहले चिलचिलाती गर्मी, फिर कहर वाले मॉनसून ने लोगों को परेशान किया. अब सर्दी को लेकर भी इसी तरह के दावे सामने आ रहे हैं.
बता दें कि ला-नीना के असर से ज़्यादातर जेट स्ट्रीम राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश को कवर करते हुए उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में तापमान को गिराता है. ला नीना की वजग से दक्षिण-पश्चिम मानसून काफी मजबूत होती है और देशभर में औसत से अधिक बारिश ठंड पड़ती है. इसे ठंडी सर्दियों के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है. हालांकि, यह पूर्णतः सच नहीं हो है मगर मौसम पर निर्भर करेगा.
आईएमडी ने बताया कि नीना एक्टिव होने की वजह से दिसंबर के मध्य से जनवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ सकती है. इसकी वजह से आमतौर पर तापमान में गिरावट आती है. जिसके कारण सर्दियों में भी बारिश होती है. और सर्दियां अधिक लंबी और अधिक तीव्र पड़ती हैं.