न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः श्री राम शर्मा की क्रिमिनल अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि अचानक झगड़े के बाद आवेश में आकर बिना किसी पूर्व योजना के की गई हत्या को हत्या नहीं माना जाएगा. मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष चांद और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना इरादे, बिना किसी पूर्व योजना अचानक झगड़े के बाद जोश में आकर की गई हत्या और अपराधी कोई अनुचित लाभ ना उठाए या क्रूर तरीके से काम ना करें तो वह मौत या हत्या IPC के सेक्शन 300 के तहत नहीं आएगी.
अपीलकर्ता को हिरासत से शीघ्र रिहा करने का कोर्ट ने दिया आदेश
मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की तरफ से मृतक की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था. दोनों के बीच अचानक झगड़ा हुआ और आवेश में आकर बिना किसी पूर्व योजना के उसने मृतक के सिह पर हथौड़ा से हमला किया. मामसे में चश्मदीद गवाह और मेडिकल साक्ष्य से भी यह पता चलता है कि केवल एक ही बार मृतक के सिर पर हमला किया गया था. जिससे यह मालूम होता है कि कि मृतक की हत्या बिना किसी पूर्व योजना या इरादा के हुई है. मामले में सुनवाई के दौरान अपने आदेश में हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अपीलकर्ता 10 साल से अधिक समय से हिरासत में था और उसने सजा काट लिया है इसलिए कोर्ट आदेश देता है कि अपीलकर्ता को शीघ्र ही हिरासत से रिहा किया जाए.
आपको बता दें, इस मामले में 4 फरवरी 2017 को देवघर सिविल कोर्ट ने श्री राम शर्मा को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा के साथ 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. वहीं सिविल कोर्ट के इस आदेश को श्री राम शर्मी ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसपर हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष चांद और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन्हें हिरासत से शीघ्र रिहा करने का आदेश दिया है.