न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: ग्रीनलैंड के उत्तरी हिस्से में एक खोया हुआ शहर, जो 60 सालों से बर्फ के नीचे दबा हुआ था, अब विज्ञान की मदद से सामने आया गेन. नासा के वैज्ञानिकों ने अपनी नई रडार तकनीक UAVSAR का उपयोग करते हुए बर्फ की गहराई में एक छिपे हुए सैन्य अड्डे का पता लगाया हैं. यह अड्डा 1959 में बनाया गया था और इसे कैंप सेंचुरी नाम दिया गया था, जो अब बर्फ की चादर के नीचे दफन हो चुका था.
कैसे हुआ यह अद्भुत खुलासा?
अप्रैल 2024 में, नासा के वैज्ञानिकों ने गल्फस्ट्रीम III जेट पर चढ़कर उत्तरी ग्रीनलैंड के ऊपर उड़ान भरी. इस दौरान उन्होंने अपने अत्याधुनिक रडार उपकरण UAVSAR का इस्तेमाल किया, जो बर्फ की गहराई में छिपी संरचनाओं को स्पष्ट रूप से मापने में सक्षम हैं. इस उपकरण की मदद से वैज्ञानिकों को बर्फ के नीचे दबा कैंप सेंचुरी का स्थान और उसके स्ट्रक्चर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली.
कैंप सेंचुरी का रहस्य
कैंप सेंचुरी एक सैन्य अड्डा था, जिसे 1959 में ग्रीनलैंड की बर्फीली सतह के नीचे सुरंगों के जरिए स्थापित किया गया था. यह शहर 1967 में छोड़ दिया गया था और तब से इसके ऊपर बर्फ की मोटी परत जमा होती गई, जिससे यह पूरी तरह से बर्फ के नीचे दब गया. आज यह स्थान लगभग 100 फीट (30 मीटर) गहरी बर्फ के नीचे छिपा हुआ हैं.
क्या मिला नासा की रडार तस्वीरों में?
नासा के वैज्ञानिकों ने 3D मैपिंग तकनीक के जरिए कैंप सेंचुरी के लगभग सभी संरचनाओं की पहचान की. इस गुप्त शहर के भीतर कई सुरंगों और इमारतों के अलावा, यह स्पष्ट हुआ कि यहां पर सैन्य और शोध से संबंधित सुविधाएँ भी मौजूद थीं. इस तकनीकी खोज ने अंटार्कटिका जैसे स्थानों के लिए नई उम्मीदें जगा दी है, जहां बर्फ की चादरों के नीचे छिपी संरचनाओं का अध्ययन किया जा सकता हैं.
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान में इसका महत्व
इस खोज के जरिए नासा के वैज्ञानिकों ने बर्फ की चादर की मोटाई को मापने के लिए एक नई विधि विकसित की हैं. उनका कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में समुद्र के स्तर में वृद्धि की भविष्यवाणियों को अधिक सटीक बनाने में किया जा सकता हैं. इसके अलावा, इस क्षेत्र में पिघलती बर्फ के चलते कैंप सेंचुरी में दबे जैविक, रासायनिक और रेडियोधर्मी कचरे को पुनः बाहर आने की संभावना भी जताई जा रही हैं. यह खोज सिर्फ एक ऐतिहासिक रहस्य नहीं बल्कि भविष्य की वैज्ञानिक और पर्यावरणीय शोध के लिए एक नया रास्ता भी खोल रही हैं.