विकाश पांडेय/न्यूज11 भारत
सतगावां/डेस्कः- सतगावां प्रखंड के कोठियार पंचायत के सुदूरवर्ती क्षेत्र कानीकेंद,रतनपुर,घोड़शाही, बैशखी,सेठवा गाँव के 400 की आबादी आजादी के 77 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.एक तरफ सरकार शहरों को सजाने व संवारने में लगी है वहीं इस गाँव में पैदल चलने के लिए कोठियार गांव से जाने के लिए मुख्य सड़क की व्यवस्था नहीं है कई साल पहले झारखंड अलग होने के बाद भी इन गांवों के लोग मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं यहाँ के छात्र छात्राएं आज भी उच्च शिक्षा से कोसों दूर है,इन गांवों की आबादी लगभग 400 है लेकिन यहां न ही कोई स्वास्थ्य सुविधाएं है,और न ही सरकार के द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ मिल नहीं पा रहा है इन गांवों में मैट्रिक पास करने वालों की संख्या 1% है,यहां आंगनबाड़ी केंद्र है लेकिन इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है,ग्रामीण बताते हैं कि यहां आंगनबाड़ी केंद्र हमेशा बंद रहता है,यहां शिक्षा व्यवस्था का भी बुरा हाल है शिक्षक आते हैं लेकिन बच्चे नदारद रहते हैं,यहां शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है जिससे बच्चों की परेशानी बढ़ गई है जबकि ये इस गांव की दूरी मुख्य सड़क से 8 से 9 किलोमीटर है.ग्रामीण जोधी राय,एखडू राय, लिलो राय, जीतन राय, शूकर टुड्डू, जगदीश राय,किशुन राय, विद्या सिंह, महेंद्र राय,प्यारी राय, कामेश्वर राय, गुरुदेव राय,पार्वती देवी आदि ने बताया कि कोठियार पंचायत से हमलोगों का गांव टापू में है गाँव में आने जाने के लिए मुख्य सड़क नहीं है बरसात के दिनों में मुख्य सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रहता है इस गाँव के लोग आज भी आजादी के 77 वर्षो बाद भी विकास की राह देख रहे हैं यहाँ जब कोई बीमार पड़ता है तो उसको डोली या खाट के सहारे मुख्य सड़क तक पहुँचाया जाता है साथ ही साथ उन्होंने ने कहा कि बरसात के दिनों में मुख्य सड़क नहीं रहने से बरसात के दिनों में 3 से 4 महीनों तक बच्चों को शिक्षा ग्रहण से वंचित रहना पड़ता है जिससे शिक्षा तो बाधित ही है और बच्चों की भविष्य पर ग्रहण लग जाता है वहीँ सभी ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गाँव में बिजली तो है लेकिन नाम का ही जब बिजली में कहीं खराबी होती है तो महीनों बिजली गायब हो जाती है गाँव आने के लिए सड़क की स्थिति ऐसी है कि गाड़ी से तो दूर पैदल चलने के लिए भी कई हचकोलो का सामना करना पड़ता है जबकि यह गाँव प्रखंड मुख्यालय से 20 से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहाँ ,स्वास्थ्य सेवा भी यह गाँव कोसों दूर है कई बार हमलोगों ने रोड,नियमित बिजली,स्वास्थ्य सुविधा के लिए मामला ग्राम सभा,जनता दरबार,धरना प्रदर्शन,विधायक,सांसद से रोड,बिजली नियमित रूप से मांग की है लेकिन आजतक एक्का दुक्का चापानल छोड़कर पेयजल की व्यवस्था नहीं है. गर्मी के दिनों में एक्का दुक्का चापानल भी दम तोड़ देती है यहां स्वास्थ्य सुविधा नहीं है यहां के लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं साथ ही साथ सभी ने यह ही कहा कि इस सरकार में अफसरशाही का राज्य है हम गरीब के आवाज को दबा दिया जाता है जबकि इस गांव में घटवार समाज व कुछ आदिवासी समाज के लोग रहते हैं फिर भी सरकार द्वारा कोई सुविधा नहीं उपलब्ध है यहाँ के बीडीओ, सीओ,पुलिस प्रशासन वन विभाग के अधिकारी हमलोग के लिए हाथी का दांत साबित हुआ जिससे आज भी यह गाँव पिछड़ा है कानीकेंद,रतनपुर,घोड़शाही गांव से प्रखंड मुख्यालय 20 से 22 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है जो पहाड़ों के बीच बनी पगडंडियों के सहारे तय करनी पड़ती है इस गाँव में आज भी लोग पैदल चलकर ही पहुँचते हैं वहीँ शिक्षा ग्रहण के लिए रतनपुर व कानीकेंद में प्राथमिक विद्यालय है इस गांव की बच्चियां 5 वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती है जिसके कारण उनके माता पिता कम उम्र में ही बच्चियों की शादी करने के लिए विवश हैं वहीं यहाँ के बच्चों को उच्च शिक्षा पाने के लिए इस गाँव से 8 से 9 किलोमीटर की दूरी पर कोठियार पंचायत के ही दोनैया,पचाने गाँव में उच्च विद्यालय का व्यवस्था की गई है लेकिन यहाँ उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए तो स्कूल का व्यवस्था तो कर दिया गया है लेकिन इस विद्यालय में पढ़ाने के लिए दोनैया उच्च विद्यालय के शिक्षकों की संख्या 2 व सहायक अध्यापक की संख्या 4 है उच्च शिक्षा के लिए दोनैया में विद्यालय का निर्माण किया गया है लेकिन हैंडओवर नहीं होने से यहां के बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.