आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: आदिवासी बहुल जिला सिमडेगा में पवित्रता और आस्था का महापर्व चैती छठ बडी आस्था के साथ मनाया जाता हैं. चैती छठ के तीसरे दिन आज शहर के केलाघाघ और छठ तालाब के सांझी घाट पर वर्ती अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को प्रथम अर्थ अर्पित करेंगे. बता दें कि, चैती छठ एक कठीन तप हैं. जिसमें गर्मी के बीच व्रती निर्जला उपवास रख फलों से भरे सुप से भगवान सूर्य को अर्घ देते हैं. कार्तिक मास की छठ की अपेक्षा चैत्र में कम लोग छठ करते हैं. ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास के कठीन तप छठ व्रत करने वालों को कभी भी धन्य धान की कमी नहीं होती. केलाघाघ सूर्य मंदिर के पुजारी कल्याण मिश्र ने बताया कि सिमडेगा समयानुसार आज सूर्यास्त संध्या 06: 10 में होगा. इसलिए इसके 10 मिनट पूर्व से व्रती अर्घदान करें. उन्होंने बताया कि संध्याकालीन अर्घदान संध्या 06 बजे होगा. कल सूर्योदय का समय प्रातः 05:45 बजे का हैं. व्रती सर्वोदय के साथ प्रातःकालीन अर्घदान करें. सुबह का अर्घदान सूर्योदय के साथ प्रातः 05:45 से प्रारंभ होगा.
अर्घदान करना आस्था के साथ साथ चिकित्सक लाभ भी प्रदान करता हैं. अस्ताचलगामी और उदयीमान सूर्य को अर्घ देते से भगवान सूर्य को जल अर्पित करते है तो जल की धारा को पार करती हुई सूर्य की सप्तरंगी किरणें हमारे सिर से पैर तक पड़ती हैं. जो शरीर के सभी भागों को प्रभावित करती हैं. इससे हमें स्वत: ही सूर्य किरणयुक्त जल-चिकित्सा का लाभ मिलता हैं. बौद्धिक शक्ति में लाभ के साथ नेत्रज्योति, ओज-तेज, निर्णयशक्ति एवं पाचनशक्ति में वृद्धि पायी जाती है व शरीर स्वस्थ रहता हैं. अर्घ्य जल को पार करके आने वाली किरणें शक्ति व सौंदर्य प्रदायक भी हैं. सूर्य प्रकाश के हरे, बैंगनी और अल्ट्रावायलेट भाग में जीवाणुओं को नष्ट करने की विशेष शक्ति हैं. प्रात:कल नियमित सूर्य नमस्कार करने से शरीर हृष्ट पुष्ट रहता हैं. सूर्य प्रकाश में बैठकर कनेर, दुपहरिया, देवदारू, मैनसिल, केसर और छोटी इलायची मिश्रित जल से नियमित स्नान से पक्षाघात, क्षय, पोलियो, ह्रदय विकार, हड्डियों की कमजोरी आदि रोग में विशेष लाभ प्राप्त होता हैं. शुक्रवार को सूर्योदय का समय सुबह 05:45 बजे हैं. इसलिए सूर्योदय काल से सभी व्रती उदयीमान सूर्य को अर्घदान कर छठ व्रत का पारण करेगें.

