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रांची/डेस्कः- जब कोई कैदी जेल में सजा काट रहा हो वहां भी उनके कई अधिकार होते हैं. इसमें से एक अधिकार ये भी है कि कैदी अपने पार्टनर के साथ समय बिता सकते हैं. अब ये सुन मन में तो सवाल उठ ही रहे होंगे कि आखिर किस आधार पर कैदी को प्रायवेट टाइम स्पेंड करने की इजाजत दी जाती होगी. अगर जेल में इसकी व्यवस्था सही में होती है तो कहां होती है आइए जानते हैं.
ये है नियम
इसको लेकर दिल्ली हाइकोर्ट के वकील प्रेम जोशी ने बताया कि वकील ने साफ कहा कि फिलहाल तो भारत में इस तरह की कोई कानून की व्यवस्था तो नहीं है, जिसमें पार्टनर के साथ समय बिताया जा सके. कुछ मामलों में कोर्ट ने इसके लिए अनुमति दी जाती है ताकि अपने जीवन साथी के साथ टाइम स्पेंड कर सके. हालांकि वकील ने कहा कि इसका इस्तेमाल सिर्फ एक अधिकार के तौर पर है न कि कोई प्रिविलेज के तौर पर.
इन देशों में है व्यवस्था
वैसे कुछ देशों में जैसे रुस, स्पेन, बेल्जियम, साउदी अरब, डेनमार्क, अमेरिका आदि देशों में प्रायवेट मीटिंग्स के लिए विशेष टाइम दिया जाता है. वकील जोशी ने बताया कि 2015 में पंजाब व हरियाणा कोर्ट ने कैदियों को पार्टनर के साथ टाइम स्पेंड करने व प्रेग्नेंसी को लेकर छुट दी जाती है. इस दोरान कोर्ट ने ये भी कहा था कि जेल में रहने के दौरान प्रेग्नेंसी करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है.
देश में फिलहाल कोई प्रावधान नहीं
इसको लेकर एक बार मद्रास हाइकोर्ट ने भी कैदी को अस्थाई छूट दी थी, कैदी जेल में आजीवन कारावास काट रहा था. हालांकि ऐसा कोई प्रावधान न होने के चलते जेल अधिकारी ने इसके विपरित तर्क दिए थे, पर कोर्ट ने आर्टिकल 21 के तहत पत्नी की याचिका पर इजाजत दे दी थी. बता दें कि कोर्ट की अनुमति के बाद कोर्ट की ही तरफ से समय, स्थान आदि तय किया जाता है.
ऐसा होता है मीटिंग कमरा
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के कई जेलों में कैदी को प्रायवेट टाइम स्पेंड करने का कमरा का व्यवस्था है, पेजाव के कुछ जेल में बनाए गए हैं जहां दो बेड वाला एक कमरा होता है, और वाशरुम भी होता है. कमरे में एक मेज, दो कुर्सी, पानी आदि की भी व्यवस्था रहती है. कैदी को अपने पार्टनर के साथ दो घंटे समय बिताने का समय मिलता है, मिलने के दौरान कमरा बाहर से बंद कर दी जाती है. ये सुविधा हर जेल में नही पाई जाती, इसमें कोर्ट का आखिरी फैसला होता है.