न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः कांग्रेस के 12 विधायकों में आखिरकार वो कौन सा केपेबल विधायक है जिसे केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा इस बार झारखंड में मंत्री का पद संभालने के लिए चुना जाएगा. न्यूज 11 भारत से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि जो योग्य होगा, केपेबल होगा और शार्ट टर्म में बेहतर काम करने का माद्दा रखता होगा इस बार उसी को मंत्री पद दिया जाएगा. मीर ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी कोटे के कारण कोई भी मंत्री के पद पर नहीं बैठ सकता. लेकिन मीर के इस बयान के साथ ही यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिरकार 12 विधायकों में कौन ज्यादा योग्य है इसकी जांच कैसे की जाएगी.
कोटे से देखें तो इरफान अंसारी का नाम सबसे आगे
विदित हो कि कांग्रेस कोटे से संसीदय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के जेल जाने और इस्तीफे के साथ ही चम्पाई सोरेन मंत्रीमंडल में एक पद रिक्त हो गया है. कयास तेज हो गये कि आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद अल्पसंख्यक कोटे से ही एक विधायक को मंत्री पद दिया जा सकता है. अगर झारखंड के 12 विधायकों की बात करें तो उनमें केवल इरफान अंसारी ही एकमात्र नाम है जो अल्पसंख्यक कोटे से आते हैं. साथ ही कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में एक भी अल्पसंख्यक को उम्मीदवारी की टिकट नहीं दी जिसके कारण यह कयास और भी तेज हो गए कि इरफान अंसारी पर कांग्रेस दांव खेल सकती है.
रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता पहले से हैं मंत्री
झारखंड में कांग्रेस के कुल 17 विधायक हैं जिनमें प्रदीप यादव भी शामिल हैं, लेकिन उनपर दल बदल का मामला चल रहा है. प्रदीप को छोड़कर आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता पूर्व से मंत्री रहे हैं. इसके अलावा बचे 12 विधायकों को एकमात्र मंत्री पद के लिए अपने कैपेबिलिटी चेक करानी होगी. यहां एक सवाल और खड़ा हो जाता है कि इन 12 विधायकों ने राज्य में चम्पाई सोरेन मंत्रीमंडल विस्तार के समय अपनी नाराजगी साफ जतायी थी. कांग्रेस कोटे से मंत्री बन रहे सभी चारों उम्मीदवारों से यह नाराजगी थी जिसको जाहिर करने के लिए सभी विधायक दिल्ली तक गए थे. लेकिन आलाकमान ने अपना निर्णय नहीं बदला था.
मीर के बयान ने बदली बयार, दीपिका पांडेय का नाम रेस में, क्या बदले जाएंगे बादल ?
गुलाम अहमद मीर ने जो बयान दे दिया है उसके बाद से झारखंड की राजनैतिक फिजां की बयार बदल गयी है. अब इरफान अंसारी ही मंत्री बनेंगे यह जरुरी नहीं है. महागामा विधाक दीपिका पांडेय भी रेस में आगे आ गयी हैं. चर्चा तेज है कि बादल पत्रलेख को हटाकर दीपिका पांडेय को मंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन अगर यह किया भी गया तो आलमगीर के इस्तीफे से खाली जगह को कौन विधायक अपनी केपेबिलिटी से भर पाएगा यह देखना दिलचस्प होगा. साथ ही यह भी सवाल खड़ा हो जाएगा कि क्या बादल पत्रलेख योग्य नेता नहीं हैं या दीपिका पांडेय को गोड्डा सीट से पहले टिकट देने की घोषणा और बाद में टिकट प्रदीप यादव को दिए जाने के कारण दीपिका का कर्ज चुकाने के कारण हाशिये पर बादल पत्र चढ़ा दिए जाएंगे.