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रांची/डेस्कः- केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय में आज दो घंटे सुनवाई हुई. बता दें कि इसके खिलाफ 100 से भी अधिक याचिकाएं दाखिल हुई थी. कोर्ट ने इसपर जवाब मांगा है लेकिन कानून के लागू होने पर फिलहाल रोक नहीं लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर देशभर में हो रहे हिंसा को लेकर चिंता जताई है. इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव बनाने के लिए किया जा सकता है. कोर्ट ने इसपर फैसला करने की भी बात कही है.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता कर रहे पैरवी
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्ब्ल ने कहा कि इस संशोधन के तहत अब हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा. यह अधिकार का हनन है. इसपर एससी ने पूछा कि क्या मुसलमानों को हिन्दु धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने दिया जाएगा.
बता दे कि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे थे वहीं कानून के खिलाफ अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल व राजीव धवन दलीले दे रहे थे.
सरकार कैसे कह सकती है कि हम मुस्लिम हैं या नही
कपिल सिब्ब्ल ने अपील मे कहा कि हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं जिसमें कहा है कि मुसलमान ही केवल वक्फ बना सकते हैं. सरकार कैसे कह सकती है कि मै मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने योग्य हूं.
पुरानी वक्फ संपत्ति रजिस्ट्रेशन पर- सिब्बल ने इसपर कहा कि यह आसान नहीं है वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है, जब 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेगे यहां समस्या उत्पन्न हो सकती है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा. 1995 के कानून में भी ये जरुरी था. इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो मुत्व्वली को जेल जाना होगा.
एससी ने कहा कि कई पुरानी मस्जिद 14वीं व 16 वीं शताब्दी की है. जिसके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड भी नहीं होगा. सीजेआई ने इसपर केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्ति को कैसे रजिस्टर करेंगे. इसे खत्म किया जाता है समस्या हो सकती है.
22 में से 10 मुस्लिम
बोर्ड मेंबर गैरमुस्लिम होने पर सिब्बल ने कहा कि पहले केवल मुस्लिम ही इसका हिस्सा होते थे अब हिंदु भी होंगे. यह अधिकारों का हनन है. आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर मुस्लिम होंगे यहां 22 में से 10 मुस्लिम है.
वक्फ प्रॉपटी है कि नहीं इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि मुसलमानों को हिन्दु धार्मिक ट्रस्टों में हिस्सा बनने को लेकर अनुमति देने को तैयार हैं. हिंदु दान कानून के मुताबिक कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकता. वक्फ प्रापटी है कि नहीं इसका निर्णय अदालत को क्यों नहीं करने देते.