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रांची/डेस्क: एक ऐसे समय में जब शिक्षा का व्यावसायिकरण चरम पर है, राजस्थान के सीकर में 68 वर्षीय लक्ष्मीनारायण चेजारा एक अनूठे गुरुकुल की परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. 48 वर्षों से नि:शुल्क स्टेनोग्राफी की शिक्षा प्रदान कर रहे चेजारा 'स्टेनोमैन' के नाम से प्रसिद्ध है और गरीब विद्यार्थियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं.
1976 में स्थापित 'Joshi Shorthand Institute' से अब तक लगभग 15,000 छात्रों ने नि:शुल्क Shorthand की शिक्षा ग्रहण की है, जिनमें से कई सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं. इतना ही नहीं अपने छात्रों की मदद के लिए चेजारा अपने वेतन का आधा हिस्सा भी खर्च कर देते हैं.
चेजारा की कक्षाएं सुबह 5 बजे से शुरू होती है, जिसमें उनके पास करीब 200 विद्यार्थियों के बैठने की क्षमता हैं. सख्त अनुशासन के लिए पहचाने जाने वाले चेजारा के पास देर से आने वाले छात्रों के लिए जगह नहीं होती और उन्हें उस दिन वापस लौटना पड़ता हैं. 68 वर्ष की उम्र में भी चेजारा बिना माइक के अपनी सुमधुर आवाज में Dictation देते है, जो दूर तक सुनी जा सकती हैं.
चेजारा आज भी बेहद साधारण जीवन जीते है और अपने घर से 4 किलोमीटर दूर कक्षा लेने पैदल ही जाते हैं. वह अपने गुरू ओमप्रकाश जोशी से मिली नि:शुल्क शिक्षा की प्रेरणा को आज भी कृतज्ञता के साथ निभा रहे हैं. शेखावाटी क्षेत्र के अधिकांश स्टेनोग्राफर चेजारा के ही छात्र है और उनके प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं.
उन सबका कहना है कि जो गुरु अपने शिष्यों को सिर्फ नि:शुल्क ज्ञान ही नहीं बल्कि अपना सारा जमा धन भी इन्हीं गरीब विद्यार्थियों पर खर्च कर देता है, ऐसा नि:स्वार्थ और प्रेरणादायी व्यक्तित्व आज के जमाने में मिलना बेहद मुश्किल हैं.