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रांची/डेस्क: बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल हो चुका है. केंद्र सरकार ने माना है कि संथाल की डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आया है. केंद्र ने कोर्ट को संथाल के प्रस्तुतियों से अवगत कराते हुए कहा कि पिछले दशक में आदिवासियों की संख्या तेजी से घटी है. कभी 44% की संख्या में आदिवासियों की जनसंख्या घटकर 28% हो गई है. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इसमें सिर्फ घुसपैठ ही नहीं धर्मांतरण और पलायन भी शामिल है. केंद्र ने गंभीरता से बताया है कि संथाल में राज्य सरकार ही संथाल परगना टेंडेंसी एक्ट (SPT) का वायलेशन कर रही है. बाहर से आ रहे घुसपैठ को संरक्षण दिया जा रहा है, ताकि वह यहां की जमीनों पर घुसपैठ कर सके.
अपने हलफनामे में केंद्र ने बताया है कि बड़ी संख्या में गिफ्ट डीड के तहत जमीनों का हस्तांतरण हुआ है, जो यह दर्शाता है कि राज्य सरकार की सहमति के बगैर या नहीं हो सकता. वहीं केंद्र की ओर से आधार ने भी जवाब दाखिल किया है. उन्होंने बताया कि आधार कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता. यह महज यूनिक आइडेंटिफिकेशन के रूप में लोगों को चिन्हित करने जैसा है. केंद्र ने स्थिति को देखते हुए संथाल में एनआरसी लागू करने की जरूरत बताई. केंद्र ने कहा कि उनके पास घुसपैठियों के पहचान और वापस भेजने की क्षमता है. लेकिन इसके लिए NRC का लागू किया जाना बेहद जरूरी है, बगैर इसके यह संभव नहीं है.