आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: कोडरमा- पठारी क्षेत्र होने के नाते यू तो झारखंड बाढ़ के खतरे से बचा रहता है, लेकिन बिहार झारखंड की सीमा से सटे कोडरमा के मेघातरी में वन विभाग के द्वारा बनाए गए चेक डैम के टूट जाने से कुसहना गांव में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई.
पिछले रविवार के बाद गुरुवार और शुक्रवार को तेज बारिश के कारण मेघातरी पंचायत के इस कुसहना गांव में पानी का सैलाब नजर आया. जिससे लोग पूरी तरह डरे और सहमें हुए हैं. गांव के बाहर वन विभाग के द्वारा बने दशको पुराने चेक डैम के बह जाने से गांव में बाढ़ आ गई. अचानक आए इस बाढ़ में लोगों का सब कुछ बह गया है. सिर्फ इंसानी जिंदगी को बचाने में लोग कामयाब रहे, लेकिन रोजमर्रा की जरूरत को पूरा करने वाला हर सामान इस बाढ़ में बह गया. एक तरफ फिर से बाढ़ आने का खतरा तो, दूसरी तरफ जिंदगी की जद्दोजहद.
रविवार को पहली बार गांव में आए पानी के सैलाब से जब तक लोग संभाल पाते कई लोगों के आशियाने तक बह गए, घरों के बाहर चर रहे मवेशी भी बह गए. घर में रखा सारा सामान बर्बाद हो गया, गांव का स्कूल और अस्पताल भी पूरी तरह से कीचड़ में तब्दील हो गया है. लोग इतना डरे शहर में है कि अपना घर बार छोड़कर कहीं दूसरे ठिकाने पर भी बसने के लिए तैयार है.
शुक्रवार के बाद बारिश तो नहीं हुई है, लेकिन गांव में आए पानी के सैलाब ने इतना नुकसान पहुंचा दिया है कि अब इससे उबरने में लोगों को काफी वक्त लगेगा. यहां रहने वाले लोग कभी सोचे भी नहीं थे कि गांव में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. पानी का सैलाब आएगा जो उनका सब कुछ बहा ले जाएगा. दरअसल गांव में बना दशको पुराना चेक डैम जो बह गया उसके टूटने की संभावना से यहां के लोगों ने वन विभाग को आगाह भी कर दिया गया था, लेकिन समय से पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया. जिसके कारण गांव के तकरीबन 70 परिवार तबाह हो चुके हैं.
बाढ़ आने के बाद इससे प्रभावित लोगों के लिए राहत और बचाव कार्य भी चलाए जा रहे हैं. फिलहाल लोगों के रहने और खाने-पीने के लिए पंचायत भवन में व्यवस्थाएं की गई है. इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्र में चेकनाका के बने क्वार्टर में प्रभावितों को शिफ्ट करने की सलाह दी जा रही है. फिलहाल गांव में बहने वाला पानी लोगों के घरों में नहीं घुसे इसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों की ओर से जिला प्रशासन को पानी के बहन वाले रास्ते में नहर जैसा बनाने की सलाह दी गई.
बाढ़ का पानी तो बहकर गांव से बाहर चला गया, लेकिन लोगों की जिंदगी सामान्य बनने में अभी काफी समय लगेगा, क्योंकि बाढ़ के निशान पूरे गांव में भारे पड़े हैं और अभी भी हर वक्त बाढ़ का खतरा इस गांव के लोगों को सता रहा है.