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रांची/डेस्क: ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में हाल ही में एक अद्भुत घटना घटी. इस घटना ने भक्तों को चमत्कृत कर दिया है. इसके अलावा इस घटना को एक दिव्य संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है. बता दें कि मंदिर के के शिखर पर लगे ध्वज को एक बाज ने अपने पंजों में पकड़ा और उसे उड़ाकर अपने साथ ले गया. जी हां आपने सही सुना. लेकिन इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे है. क्या यह केवल एक चमत्कारी घटना है या इस घटना के किसी बड़ी बड़े दिव्य परिवर्तन हो सकता है.
क्या है ध्वज और गरुड़ का आध्यात्मिक महत्व
पुरी के जगन्नाथ मंदिर ले शिखर पर पतितपावन बाना यानी ध्वज का विशेष धार्मिक महत्व है. ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है यह ध्वज. मंदिर के शिखर में लगे ध्वज के हिलने या उल्टी दिशा में लहराने को एक आध्यात्मिक संकेत के रूप में देखा जाता है.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, जब भी ध्वज असामान्य तरीके से हिलता है तो इसे भगवान का आशीर्वाद और आध्यात्मिक परिवर्तन के संकेत के रूप में माना जाता है. ऐसे में यह घटना किसी बड़े बदलाव या दिव्या विजय के संकेत हो सकते है.
भगवान की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं गरुड़ देवता!
गरुड़ देवता को पक्षियों का राजा माना गया है. इसके साथ उन्हें भगवान विष्णु का वाहन भी माना गया है. गरुड़ देवता का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. जब जगन्नाथ मंदिर ले शिखर पर लगे ध्वज को बाज लेकर उड़ गया तब इस घटना को सोशल मीडिया में विशेष रूप से भगवान की दिव्या शक्ति और उनकी लीला से जोड़कर देखा गया. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गरुड़ देवता को भगवान की शती का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, जो सभी जीवों की सुरक्षा करता है और धर्म की रक्षा करता है. बता दें कि गरुड़ एक पौराणिक पक्षी है. उसे भगवान विष्णु के वाहन के रूप में मान्यता प्राप्त है. गरुड़ को जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रक्षा करने वाला माना गया है. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि मंदिर के ऊपर कोई भी पक्षी नहीं उड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खुद गरुड़ देवता वहां मौजूद है.
पक्षियों और ध्वज के जरिए दिव्या संकेत
धार्मिक मान्यता के अनुसार ध्वज और पक्षी जब भी विशेष स्थिति में होते है, तो इसे एक दिव्या संकेत के रूप में माना जाता है. इसके अलावा इसे भविष्यवाणी के रूप में भी देखा जाता है. ऐसे घटनाओं का जिक्र रामायण, महाभारत और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में ऐसी घटनाओं का जिक्र है. जहां पक्षी और ध्वज भगवान की विजय, आशीर्वाद और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक माने गए हैं. ऐसे में जगन्नाथ मंदिर के शिकार के ध्वज को लेकर हुई घटना को भगवान के आशीर्वाद के रूप में देखा जा रहा है. इस घटना को लेकर भक्तों का मानना है कि यह दिव्या संकेत धार्मिक बदलाव या आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक हो सकता है. यह समाज के हर क्षेत्र में प्रभाव डालने वाला हो सकता है