Thursday, Dec 5 2024 | Time 00:46 Hrs(IST)
झारखंड


BJP के हार के राज़ का हुआ खुलासा, RSS पर उठ रहे कई सवाल, JMM का हर क्षेत्र में हुआ है विस्तार

BJP के हार के राज़ का हुआ खुलासा, RSS पर उठ रहे कई सवाल, JMM का  हर क्षेत्र में हुआ है विस्तार
न्यूज़11 भारत

रांची/डेस्क: झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन की जीत हुई. वहीं  एनडीए को करारी हार मिली. अद्दिवासिओन वोटरों ने भाजपा पर भरोसा नही किया, भाजपा ने आदिवासी सीटों में केवल 1 सीट जीती. ऐसे में हार के कई कारण बताये जा रहे है. जैसे कि मुस्लिमों से उनका गठबंधन और आरएसएस की कमजोर होती गतिविधियां और ईसाई मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव. पार्टी अपनी हार की अब समीक्षा कर रही है. आपको बता दे की रांची में दो दोनों तक हार की समीक्षा की गई थी. अब पार्टी के प्रमुख नेताओं की 3 दिसंबर को दिल्ली में बैठक है. इस बैठक में केंद्र गृह मंत्री अनित शाह, भाजपा के राष्ट्र अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य वरिश नेता मौजूद रहेंगे.

 

आदिवासी आरक्षित 28 सीटों में केवल 1 सीट जीत पाई भाजपा

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार मिली है. भाजपा ने आदिवासी आरक्षित 28 सीटों में से केवल 1 सीट पर जीत हासिल की है. वह सरायकेला की सीट है. वहां से पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ही केवल अपनी सीट बचा पाए. भाजपा ने आदिवासिओं को जोड़ने के लिए खूब प्रयास किया था. लेकिन उन्हें असफलता ही मिली. अब भाजपा अपनी हार की समीक्षा कर रही है . राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़ हार के कई कारण है. इनमे से एक प्रमुख क्कार्न है आदिवासी इलाकों में बढ़ते ईसाई मिशनरी. समय के साथ इन मिशनरी की संख्या भी बढ़ी है. वहीं सरना आदिवासिओं की संख्या कम हुई है. ऐसे में भाजपा के खिलाफ मिशनरियों और मुस्लिमों का गठबंधन ने ग्रामीण क्षेत्रों e पार्टी को काफी नुक्सान पहुंचाया है. भाजपा के जड़ें इस गठबंधन ने हिला दी है. भाजपा की सारी रणनीति खराब्ब हो गई. ऐसे में झारखंड राज्य में भाजपा का भविष्य मुश्किल में लग रहा है.

 

न मुंडा चले न मारनी और ना ही चले उरांव

भाजपा केहेमे के प्रमुख आदिवासी नेताओं की ज़रा भी नहीं चली. जैसे न ही बाबूलाल मरांडी चले, न अर्जुन मुंडा औए ना ही समीर उरांव. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव्व के बाद ही संगठन की कमजोरियां खुलकर सामने आने लगी. चुनाव परिणाम आने के बद ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार चुनाव में टिकट वितरण से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक में बाहर से आए दो-तीन बड़े नेताओं के देखरेख में हो रहा था. इसी निचले स्टार के पुराने कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार नहीं हुआ.

 

ग्रामीण क्षेत्रों में आरएसएस की हुई कमजोर

भाजपा आदिवासी क्षेत्रों में काफी कमजोर है. इसका प्रमुख कारण है आरएसएस की गतिविधियों का कमजोर होना. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, संह्ग जिन इलाकों में कमजोर हुआ है, वहां ईसाई मिशनरियों का प्रभाव काफी बढ़ा है. ऐसे में ऐसे कई संगठन ने ग्रामीण क्षेत्रों मकाम किया और भाजपा विरोधी माहोल बनाया. इअका परिणाम चुनाव के रिजत में साफ देखने को मिला है. आपको बता दे आदिवासी इलाके में आरएसएस के बहुत से संगठन काम करते है. एकल विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर, रात्रि कालीन पाठशाला, नवासी कल्याण केंद्र और कई सेवा प्रकल्प चलाए जाते हैं.  इनका मकसद धर्मांतरण रोकना और हिंदुत्व की भावना जगाना और आदिवासियों में जागरूकता लाना है. लेकिन राज्य में पिछले कुछ सालों में संघ के साथ इन संगठनों की गतिविधियां कमजोर हुई हैं.

 

आर्थिक तंगी और संसाधनों से जूझ रहा है संघ

मिली जानकारी के अनुसार, संघ इन दिनों आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, जिसका प्रभाव उसके कार्यक्रमों पर भी पड़ा है. संघ से जुड़े कुछ पत्रकारों का कहना है कि इसके कारण कार्यक्रम तो चल रहे हैं, लेकिन उनका असर पहले जैसा नहीं रहा है. नए लोग संघ से नहीं जुड़ रहे, और समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी महसूस हो रही है. चुनाव परिणामों के बाद छत्तीसगढ़ से सटे गुमला जिले में भाजपा को बड़ा झटका लगा है, जहां पहले पार्टी की स्थिति मजबूत थी. गुमला, लोहरदगा, बिशुनपुर और सिसई जैसी सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है, लेकिन अब ये सीटें इंडिया गठबंधन के पास चली गई हैं. झामुमो का प्रभाव यहां तेजी से बढ़ा है, और इस क्षेत्र में भाजपा की पकड़ कमजोर हुई है. गुमला में वनवासी कल्याण केंद्र और अन्य संगठनों की पहले मजबूत स्थिति थी, लेकिन अब उनका प्रभाव भी घटा है.

 

विकास भारती बिशुनपुर का असर भी हुआ कम

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक,  बिशुनपुर में पहले अशोक भगत की संस्था विकास भारती का बड़ा प्रभाव था, लेकिन अब वह भी कमजोर पड़ चुका है. बिशुनपुर का टिकट पहले अशोक भगत ही तय करते थे, लेकिन अब यह क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा और चमरा लिंडा के प्रभाव में आ चुका है, जो संघ और भाजपा के लिए चिंता का विषय है.

 

हिन्दुत्व का विस्तार के साथ नहीं बढ़ा संघ का संगठन

संघ की भूमिका अब पहले जैसी नहीं रही है. हालांकि हिंदुत्व का विस्तार हुआ है, लेकिन संघ का संगठन नहीं बढ़ा है. नए लोग संघ से जुड़ने के बजाय इससे दूर हो रहे हैं, और शाखाओं का प्रभाव भी कम हो चुका है. इसका परिणाम यह हुआ है कि आदिवासी इलाकों में भाजपा की स्थिति कमजोर हो गई है, और आदिवासियों का रुझान अब भाजपा विरोधी दलों की ओर बढ़ रहा है.

 

JMM का विस्तार, सिमट रही है BJP

झारखंड में भाजपा की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है, जो पहले पार्टी का मजबूत गढ़ हुआ करता था. इस बार भाजपा केवल 21 सीटों तक सिमट गई, जबकि 2019 में उसे 25 सीटें मिली थीं. यह भाजपा के लिए एक गंभीर चेतावनी है. यदि पार्टी अपनी रणनीति नहीं बदलेगी, जमीनी स्तर पर काम नहीं करेगी, नए चेहरों को आगे नहीं करेगी और पुराने, विफल नेताओं से किनारा नहीं करेगी, तो झारखंड में उसकी वापसी मुश्किल हो सकती है.

 
अधिक खबरें
नईबस्ती में दो पक्षों के बीच मारपीट, पांच लोग हुए घायल
दिसम्बर 04, 2024 | 04 Dec 2024 | 11:09 PM

बोकारो थर्मल थाना क्षेत्र के नईबस्ती मुख्य सड़क में दो गुटों के बीच जमकर मारपीट हो गई.मारपीट में पांच लोग घायल हो गए. घटना की सूचना एक पक्ष छोटन यादव ने बोकारो थर्मल थाना की पुलिस को देकर कार्यवाही की मांग किया गया है.

Jharkhand Weather Update: झारखंड में आज से बढ़ेगी ठंड, तेजी से गिरेगा तापमान
दिसम्बर 04, 2024 | 04 Dec 2024 | 7:35 AM

झारखंड में ठंड का सितम जारी है. ठंड ने शहर में अपना पांव पसार लिया है. कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है. राजधानी रांची समेत राज्य के पूरे जिलों में ठंड बढ़ गई है.

BJP के ये 10 विधायक जो हारकर भी बने बाजीगर, लेकिन 4 ने गवां दी अपनी साख! देखें इन विधायकों की पूरी लिस्ट
दिसम्बर 04, 2024 | 04 Dec 2024 | 3:32 AM

झारखंड विधानसभा चुनाव चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद ये तो साफ नजर आ रहा है कि भाजपा को करारी शिकस्त मिली है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 25 सीट जीती थी. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा केवल 21 में सिमट गई. इस चुनाव में भाजपा के कुल 14 सीटिंग एमएलए हार गए. पार्टी अपनी हार की लगातार समीक्षा कर रही है. लेकिन इन 14 विधायकों में से 10 विधायक ऐसे है जिन्होंने हार कर भी जनता के दिलों में जगह बना ली है. वहीं इन 14 में से 4 सीट ऐसी भी है जहां भाजपा के सीटिंग विधायकों ने अपनी साख खो दी है.

विधायक अनंत प्रताप देव, पूर्व मंत्री सत्यानन्द भोक्ता व कुमार गौरव ने CM हेमंत सोरेन से की मुलाकात
दिसम्बर 04, 2024 | 04 Dec 2024 | 8:33 PM

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में विधायक अनंत प्रताप देव, पूर्व मंत्री सत्यानन्द भोक्ता, कांग्रेस नेता कुमार गौरव ने मुलाकात कर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी.

मुख्यमंत्री की पहल पर स्वदेश लौटेंगे झारखण्ड के 50 कामगार, 11 दिसंबर से शुरू होगी मलेशिया से वापस लाने की प्रक्रिया
दिसम्बर 04, 2024 | 04 Dec 2024 | 7:14 PM

झारखण्ड के कामगारों और श्रमिकों के प्रति संवेदनशील मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल पर एक बार फिर विदेश में फंसे 50 झारखण्डी कामगारों को वापस उनके घर और गाँव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. आगामी 11 से 18 दिसंबर तक सभी कामगार के झारखण्ड लौट आयेंगे. इसके लिए जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.