रिपोर्ट में अतिक्रमण और गंदगी से तालाब के अस्तित्व पर पहुंचते खतरे पर दी गई जानकारी और सुझाव
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: शहर के ओकनी तालाब को लेकर लड़ाई लड़ रही हजारीबाग पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट की शिकायत पर ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला चल रहा है. ट्रिब्यूनल के निर्देश पर वरीय अधिकारियों की टीम ने स्थल जांच कर अपना प्रतिवेदन भेज दिया है, जिसमें अतिक्रमण और गंदगी से तालाब के अस्तित्व पर पहुंचते खतरे पर जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाब के चारों किनारों पर आवासीय भवनों का निर्माण किया गया है. नगर निगम नगर निगम ने उत्तर की ओर और पूर्व की ओर स्थित आवासीय भवनों से ओकनी तालाब में नाली के पानी के निर्वहन की सुविधा के लिए व्यवस्था की है. तालाब के पूर्वी हिस्से से हजारीबाग शहर के आस-पास के मुहल्लों का नाली का पानी भी तालाब में गिरता है. यह भी बताया है कि हजारीबाग नगर निगम ने तालाब के दक्षिण की ओर कूड़ेदान रखा है, लेकिन फिर भी तालाब के चारों तरफ कूड़ा बिखरा हुआ पाया गया. वहीं पश्चिमी किनारे पर तालाब के चारों ओर बाड़ लगाई गई थी, जो कुछ स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई थी. जबकि तालाब के दक्षिण की ओर, लगभग ईंट की दीवार का निर्माण किया गया है. 1-1.5 फीट ऊंचाई का वृक्षारोपण स्थानीय निवासियों द्वारा पूरे तालाब के किनारे किया पाया गया है.
कुछ स्थानों पर गैबियन के अन्दर पौधे पाये गये. प्रतिवेदन में बताया गया है कि तालाब के सौंदर्याकरण के लिए, जिला परिषद हजारीबाग ने तालाब की मिट्टी खोदकर तालाब के पश्चिमी किनारे पर सभी तरफ पेवर ब्लॉक पाथवे (पैदल यात्रियों के लिए) बनाने की योजना के तहत डंप किया था. इसके सौन्दर्याकरण का काम झारखंड उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के कारण अधूरा है. करीब 15-20 मीटर लंबाई का पाथवे बनाया गया है. इसके लिये वर्तमान में तालाब के पश्चिम की ओर की यह भरी हुई भूमि का इस्तेमाल स्थानीय लोगों द्वारा आवागमन के लिए की जा रही है. तालाब जलकुंभी और हरे पौधों से भरा और छोटा सा ही मिला. खुले पानी का हिस्सा देखा जा सकता था. बताया गया कि जिन उपचारात्मक उपायों का यहां पालन किया जा सकता है, उनमें नालों को तालाब में गिरने से रोकने की व्यवस्था, तालाब से जलकुम्भी एवं हरे पौधों को हटाये जाने, तालाब के किनारों पर फेंके गए कचरे को साफ करने और नगर निगम तालाब के चारों ओर अधिक कूड़ेदान लगाने तथा इन कूड़ेदानों से नियमित रूप से कूड़ा एकत्र करना सुनिश्चित करने, तालाब में कचरा फेंकने से रोकने और तालाब की ओर आवारा जानवरों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए शेष किनारों पर बोई लगाये जाने की वकालत की गई है.
यह भी बताया गया है कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 1904/2020 दिनांक 01/10/2024 में पारित अंतरिम आदेश के अनुसार, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि... हमें अवश्य ही यहां राज्य का सर्वोपरि कर्तव्य दर्ज करें, न कि केवल राज्य में तालाबों/झीलों/जल निकायों की रक्षा करना, बल्कि यह भी सुनिश्चिंत्त करना कि जिन तालाबों/झीलों/जल निकायों को अवैध रूप से भर दिया गया है. बहाल किया जाती है. ऐसा करना राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है. इस बाबत झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 का अध्याय 15 की शक्तियों का भी उल्लेख किया गया है. गौरतलब है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल में ट्रस्ट की ओर से. अध्यक्ष जयगोपाल राय द्वारा शिकायत दर्ज करायी गयी थी, जिसपर ग्रीने ट्रिब्यूनल के न्यायालय के ओ.ए. संख्यी 199/2024/ईजेड दिनांक 01.10.2024 के आदेश के अनुपालन में जिला उपायुक्त, हजारीबाग ने पत्रांक 3268/विधि, दिनांक 06.11.2024 द्वारा गठित समिति में शामिल वरीय अधिकारियों की दीस ने संबंधित साइट का कर यह प्रतिवेदन ट्रिब्यूनल को समर्पित किया है.