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रांची/डेस्क: महाराष्ट्र के बीड जिले के केज तालुका के विदा गांव में हर साल एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. आमतौर पर दामाद का स्वागत बड़े प्यार और इज्जत के साथ किया जाता है, लेकिन यहां का तरीका है बिल्कुल अलग है. धूलि वंदना के दिन नए दामाद को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाने का यह अनोखा रिवाज पिछले 90 सालों से चला आ रहा है. ऐसा क्या खास है इस परंपरा में, जो इसे बनाता है एक महापर्व?
क्यों हुआ शुरू ये मजेदार रिवाज?
इस परंपरा की शुरुआत निजामशाही के दौर में हुई थी. तब विदा गांव पर जहांगीरदार आनंदराव देशमुख का शासन था. एक बार उन्होंने अपने दामाद के साथ मजाक करते हुए उसे गधे पर बैठा दिया और पूरे गांव में घुमा दिया. यह मजाक गांववालों को इतना हंसी में डाल गया कि उन्होंने इसे हर साल मनाने का फैसला किया. तब से लेकर आज तक, यह परंपरा बरकरार है और अब यह पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बन चुकी है.
दामाद के लिए मजाक या सम्मान
पहली नजर में यह परंपरा मजाक लग सकती है, लेकिन विदा गांव के लोग इसे अपने दामाद को सम्मान देने का एक अनोखा तरीका मानते हैं. जब यह जुलूस निकलता है, तो पूरा गांव शामिल होता है, लोग ढोल-नगाड़े बजाते हैं, हंसी-ठिठोली करते हैं और वातावरण एक उत्सव सा बन जाता है. इस मजेदार परंपरा का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि किसी भी दामाद को यह अनुभव केवल एक बार ही मिलता है. एक बार गधे पर बैठने के बाद, उन्हें फिर कभी इस रस्म का सामना नहीं करना पड़ता.
दामाद भागने की करते हैं कोशिश!
जैसे-जैसे यह परंपरा मशहूर हो रही है, नए दामाद अब इससे बचने की कोशिश करने लगे हैं. धूलि वंदना से पहले ही गांव के युवा दामादों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर देते हैं. कुछ दामाद तो गांव छोड़कर भाग जाते हैं, जबकि कुछ अपने घरों में छिपने की कोशिश करते हैं. लेकिन गांववाले भी पीछे नहीं रहते! वे किसी भी हालत में दामादों को ढूंढ ही लेते हैं और उन्हें गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमा लाते हैं. इस दौरान गांव में नाच-गाने और ढोल की धुनों पर धमाल मचता है, जैसे कोई बड़ा मेला लगा हो.
जुलूस का अंत गांव के हनुमान मंदिर के पास होता है, जहां दामाद को नए कपड़े और मिठाई देकर सम्मानित किया जाता है. भले ही यह परंपरा एक नजर में हास्यास्पद लगे, लेकिन गांववालों के लिए यह प्रेम और अपनापन जताने का सबसे खूबसूरत तरीका है. इस परंपरा को देखने के लिए न सिर्फ गांववाले, बल्कि दूसरे गांवों और शहरों से सैकड़ों पर्यटक भी आते हैं.
सोशल मीडिया पर छाई धूलि वंदना की तस्वीरें
अब यह अनोखी परंपरा सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुकी है. हर साल धूलि वंदना के जुलूस की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर धूम मचाते हैं. कई टीवी चैनल भी इस जुलूस की कवरेज करने पहुंचते हैं. यह परंपरा सिर्फ हंसी-मजाक ही नहीं, बल्कि गांववालों के बीच गहरी दोस्ती और आपसी प्रेम की मिसाल भी पेश करती है.