प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी सांसदों से हर साल एक पंचायत या गांव को गोद लेकर विकास करने की बात कही थी. उनका मकसद था कि सांसद के माध्यम से कम से कम उस चिन्हित गांव या पंचायत में सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो जाएगी. इसके लिए सरकार ने आदेश भी जारी किया. सांसदों ने पंचायत और गांव को गोद भी लिया. लेकिन गोद लेने के बाद कभी उस गांव में झांकने तक नहीं गए परिणामस्वरूप आदर्श ग्राम और पंचायत का यह सपना आज भी अधूरा रह गया है.
सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सबसे पहले टाटीझरिया के मुरूमातु गांव को गोद लिया गया था. जिसकी सूरत नहीं बदल सकी. इसके बाद वर्ष 2021-22 में प्रखंड के धरमपुर पंचायत को गोद लिया गया. इस ग्राम पंचायत में धरमपुर, खंभवा, दूधमनिया, बांडीह, मंडपा, हरदिया, जेरूवाडीह, पानिमाको, बंशी आदि गांव शामिल हैं. लेकिन इस पंचायत में वैसी कोई विकास की लकीर नहीं दिख रही है. तत्कालीन सांसद जयंत सिन्हा ने सांसद आदर्श पंचायत बनाने की स्वीकृति पत्र उपायुक्त को दिया था.
इसे लेकर धरमपुर पंचायत भवन में अधिकारियों ने बैठक कर स्वच्छता, प्रधानमंत्री आवास, कृषि, पशुपालन, स्वास्थ्य, पुल-पुलिया, स्ट्रीट लाइट, सडक समेत कई प्रस्ताव लिए गये थे. लेकिन यह सभी सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया. आदर्श ग्राम के लिए चयनित मुरूमातु के लोगों को विकास शब्द से अनभिज्ञ कहे तो गलत नहीं होगा. आज भी पीने के पानी के लिये यहां के लोग गांव के किनारे नदी नाले से पानी लाकर जीवनयापन करने को मजबूर हैं. महीने में कई बार बीमार पडने के साथ गंभीर बीमारी के भी शिकार हो जाते हैं. बच्चों के पढने के लिये इस गांव में एक सरकारी विद्यालय है.