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रांची/डेस्क: रांची के ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान की ओर से नये वर्ष 2025 की अग्रिम शुभकामनाएं दी जा रही है. यह उद्यान झारखंड का सबसे बड़ा जैविक उद्यान है और वन्यजीव संरक्षण, अनुसंधान, और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है. यहां 91 प्रजातियां संरक्षित है, जिनमें 41 पक्षी, 31 स्तनधारी और 19 सरीसृप शामिल हैं. यह उद्यान न केवल वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करता है बल्कि पर्यटकों को जैव विविधता के करीब लाने और प्रकृति की अनमोल धरोहर को समझने का अवसर भी प्रदान करता है.
भगवान बिरसा जैविक उद्यान में वन्यजीवों की देखभाल के लिए विविध प्रयास किए जाते है, जिससे यहां वन्यजीवों को एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण मिलता है. इसी के परिणामस्वरूप इस वर्ष कई वन्यजीवों के बच्चों का जन्म हुआ है, जिनमें दरियाई घोड़ा, लकड़बग्घा, सांभर, चीतल, कोटरा, कृष्णमृग, सफेद कृष्णमृग, नीलगाय, लंगूर और बंदर शामिल है. पक्षियों की श्रेणी में मोर, सिल्वर फीजेंट, गोल्डन फीजेंट, बजरीगर, तोता और शुतुरमुर्ग के बच्चों ने उद्यान की शोभा बढ़ाई है. इसके अतिरिक्त, सरीसृपों में घड़ियाल और कछुआ जैसे नए बच्चों ने उद्यान को और समृद्ध किया है. इस वर्ष उद्यान में जैव विविधता को और बढ़ाने के लिए नंदनकानन जैविक उद्यान, भुवनेश्वर से सफेद बाघोन, लोमड़ी, खटास, नाइट हेरोन, आईबिस, ग्रे पेलिकन और माउस डीयर को लाया गया है. यह पहल वन्यजीवों की विविधता को बनाए रखने के साथ-साथ प्रजनन और संरक्षण के उद्देश्यों को बढ़ावा देती है. उद्यान में इन नए सदस्यों का आगमन दर्शकों के लिए जानकारी और उत्साह का एक नया आयाम प्रस्तुत करता है.
सफेद बाघ, काला तेंदुआ, सफेद मोर, सफेद हिरण और नन्हे-मुन्ने वन्यजीवों के बच्चे दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है. इनके साथ बिताया गया समय न केवल प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ाता है बल्कि एक अनूठा अनुभव भी प्रदान करता है, जो पर्यटकों की स्मृतियों में लंबे समय तक बना रहता है.
भगवान बिरसा जैविक उद्यान हर सोमवार को बंद रहता है. हालांकि, नये वर्ष के विशेष अवसर पर सोमवार के 30 दिसंबर 2024 और 6 जनवरी 2025 को उद्यान खुला रहेगा. 31 दिसंबर 2024, 1 जनवरी और 2 जनवरी 2025 को उद्यान में टिकट दर वयस्कों के लिए रु 70 और 3 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए रू 30 निर्धारित की गई है. इन तिथियों पर ग्रुप टिकट सुविधा उपलब्ध नहीं होगी. दर्शकों की सुविधा का विशेष ध्यान रखते हुए उद्यान में विजिटर्स शेड, पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय और मातृशिशु गृह जैसी सुविधाएं प्रदान की गई है. इसके अतिरिक्त, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है, जिससे वे भी उद्यान का आनंद बिना किसी असुविधा के उठा सकें. यह कदम सभी वर्गों के लोगों को प्रकृति के करीब लाने और समावेशी पर्यटन को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
भगवान बिरसा जैविक उद्यान प्रबंधन दर्शकों से अपील करता है कि वे नये वर्ष को प्रकृति के साथ मनाएं और वन्यजीव संरक्षण में अपना योगदान दें. सुरक्षित यात्रा करें और उद्यान में अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक यादगार अनुभव प्राप्त करें. जैविक उद्यान में आपका स्वागत है.