राजदेव पांडेय/न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- झारखंड सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी एक मामले में जेल में बंद हैं. उन्हें 15 मई को गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले 6 मई को उनके ओएसडी संजीव लाल और उसके सहायक जहांगीर आलम के घर के छापेमारी में 37 करोड रुपए कैश और टेंडर में कमिशन को लेकर दस्तावेज मिले थे. ईडी ने दावा किया था कि मंत्री को कमीशन के रूप में डेढ़ प्रतिशत राशि मिलती थी. फिलहाल झारखंड के पूर्व मुख्य मंत्री भी जेल में बंद हैं. दोनों पूर्व मंत्री अभी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद हैं.
दो दिग्गज नेताओं के जेल जाने के बाद अब सवाल उठने लगे कि क्या ईडी के निशाने पर कोई और मंत्री या विधायक है. ईडी ने पिछले दिनों कई जगह छापेमारी की थी. उन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) धनशोधन मामले में एक पूर्व मंत्री और दो कांग्रेस विधायकों के घर छापेमारी कर चुकी है जिसमें से एक विधायक के घर से ‘बिना लेखा-जोखा' के 35 लाख रुपये नकद और दस्तावेज जब्त किये थे. विधायक से ईडी ने लंबी पूछताछ भी की थी. ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत उनका बयान दर्ज किया था. प्रवर्तन निदेशालय ने कथित रंगदारी, लेवी वसूली, अवैध बालू खनन और जमीन हड़पने के सिलसिले में अपनी जांच के तहत विधायक पूर्व मंत्री के परिसरों पर छापा मारा था.
ED ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि नकद और दस्तावेज कहां से जब्त किये गये. प्राथमिकियों में आरोप लगाया गया है कि विधायक अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रंगदारी, लेवी वसूली, अवैध रेत खनन और जमीन हड़पने जैसी विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे. इन सभी ने इन अपराधों से कमाई की. जब्ती कहां से हुई इस मामले में ईडी अब तक चुप है. तो क्या ईडी इस मामले कोई बडी कार्रवाई की सोच रखती है या अन्य कोई निशाने पर है. फिलहाल इस मामले अभी धुंध पड़ी हुई है.
हम आपको बता दें कि मार्च 2022 में लोकसभा में दिए गए जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि साल 2004 से लेकर 2014 तक ईडी ने 112 जगहों पर छापेमारी की और 5346 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त की गई. लेकिन साल 2014 से लेकर 2022 के 8 वर्षों के बीजेपी के शासन काल में ईडी ने 3010 रेड की और लगभग एक लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई. झारखंड में भी ताबड़तोड़ छापेमारी की गई और हजारों करोड़ की संपत्ति अटैच की गई.