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रांची/डेस्क: दिवाली के अगले दिन देश भर में गोवर्धन पूजा मनाया जाता है. इस बार 2 नवंबर को मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. इस पूजा में विधिवत तरीके से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है. इस असवर पर भक्त गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते है और इसकी पूजा करते है. भगवान कृष्ण को अन्नकूट यानी छप्पन भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को छप्पन भोग इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें सभी रस समाहित होते हैं और इसे ही अन्नकूट कहा जाता है. आइए हम आपको इसका महत्व बताते है और इसमें कौन कौन से पकवान शामिल रहते है.
क्या है मान्यता?
भगवान कृष्ण ने सात दिन तक अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था. इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए उन्होंने ऐसा किया था. इस दौरान वह सात दिनों तक भूखे थे और उन्होंने पानी तक भी नहीं पिया था. भगवान कृष्ण मां यशोदा के हाथों से आठ पहर तरह-तरह के पकवान खाते थे. सात दिन से बाद जब भगवान कृष्ण लेट तब मां यशोदा ने ब्रजवासियों के साथ मिलकर उनके लिए 56 भोग तैयार किया था और बहुत प्रेम और लाड के साथ उन्हें भोजन करवाया था. यह छप्पन भोग सात दिन और आठ पहर के हिसाब से बनाया गया था. इसलिए इसमें 56 तरीके के पकवान बनाए गए थे, ताकि भगवान कृष्ण कोई भी पहर भूखे ना रहे.
छप्पन भोग में क्या क्या है शामिल ?
दुनिया भर में छप्पन भोग में छह तरह के स्वाद कहे गए हैं. इसमें मीठा,खट्टा,कड़वा,कसैला,नमकीन और अम्लीय शामिल है. इन सभी छह तरह के स्वाद को मिलकर 56 भोग बनाया जाता है. इनमें आलूबुखारा कचौरी, मठरी, जीरा लड्डू, घेवर, पेड़ा, मोहनभोग, पंचामृत, शक्करपारा, अंगूर, दलिया, टिक्की, शिकंजी, चने की सब्जी, मीठे चावल, सुपारी, मेवे,पान, भुजिया, शिकंजी, छाछ, बादाम का दूध, रबड़ी, रसगुल्ला, नारियल पानी, ताजी क्रीम, मक्खन, दूधी की सब्जी, बैंगन की सब्जी, किशमिश, केला, आम, मुरब्बा, चीला, खिचड़ी, चावल, कढ़ी, दूध, दही, साग, पकौड़े, चटनी, काजू बादाम बर्फी, मालपुआ, जलेबी, पंजीरी, मिश्री, माखन, और मूंग दाल का हलवा जैसी चीजें शामिल की जाती है.