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रांची/डेस्क: पिता की अहमियत जिंदगी में एक घर के छत ककी समान है. पिता के त्याग और प्यार के प्रति आभार जताने और उन्हें स्पेशल फील करवाने के लिए जून महिने के तीसरे रविवार को हर साल फादर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. वैसे तो पूरी जिंदगी पिता का कर्ज चुकाने के लिए कम है. मगर इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे एक बेहद खास वजह छिपी है. आइए जानते है कब और कैसे हुई फादर्स डे मामने की शुरुआत.
Father's Day क्यों मनाया जाता है
वाशिंगटन के स्पोकेन शहर में पहली बार ‘फादर्स डे’ मनाया गया था. सोनोरा स्मार्ट डॉड ने इसका प्रस्ताव दिया था. दरअसल, सोनोरा स्मार्ट डॉड की मां नहीं थी. पांच अन्य भाई-बहनों के साथ सोनोरा को मां और बाप दोनों का प्यार उनके पिता ने ही दिया था. बच्चों के प्रति प्यार, त्याग और समर्पण के साथ ही उनका पालन-पोषण देख कर, सोनोरा ने पिता के प्रति प्रेम और स्नेह जाहिर करने के लिए इस दिन को मां के लिए मनाए जाने वाले दिन यानी ‘मदर्स डे’ की तरह ही मनाने की शुरुआत की.
इतिहास दिलचस्प है
सोनोरा के दिमाग में ही सबसे पहले इस बात का ख्याल आया था कि पिता के लिए भी मां की तरह कम से कम एक दिन जरूर होना चाहिए. जून में सोनोरा के पिता का जन्मदिन पड़ता था. सोनोरा ने जून में फादर्स डे को मनाने की याचिका दायर की. इसके साथ ही इसे लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए खूब कैंप भी लगाए. उनकी यह मांग फाइनली पूरी हुई. फिर पहला 'फादर्स डे' 19 जून 1910 को मनाया गया. फादर्स डे को जून के तीसरे संडे को मनाने का ऐलान 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने किया था. इसके बाद आगे चलकर पुरे संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे मान्यता मिल गई. इसके साथ ही 1972 में इसे अवकाश भी घोषित कर दिया गया.
Father's Day का महत्व
शब्दों में माता-पिता के प्यार और त्याग को बयान कर पाना या इसे चुका पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है. पिता के समर्पण और प्यार के प्रति सम्मान और खुशी जाहिर करने का दिन ‘फादर्स डे’ है. अपनी-अपनी तरह से इस मौके पर लोग अपने पिता के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हैं. लोग इस दिन पिता को गिफ्ट देते है और उनके साथ समय बिताते है. यह दिन दुनियाभर में पिता की अहमियत जिंदगी में को याद दिलाने के लिहाज से सेलिब्रेट किया जाता है.