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रांची/डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. वे वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे है. प्रधानमंत्री के नामांकन के वक्त गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेता भी मौजूद थे. लेकिन नामांकन पर्चा दाखिल करने के समय प्रधानमंत्री खड़े थे और उनके सामने रिटर्निंग अफसर अपनी जगह पर बैठे थे.बता दें कि प्रोटोकॉल के अनुसार नामांकन के वक्त कितना ही बड़ा नेता क्यों ना आ जाए, रिटर्निंग अफसर कभी भी खड़े नहीं हो सकते है.
रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव के दौरान मुख्य चुनाव अधिकारी होता है. नामांकन करने वाला कोई भी व्यक्ति एक उम्मीदवार की तरह ही नामांकन करने आता है. उम्मीदवार चाहे प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, प्रोटोकॉल के कारण रिटर्निंग ऑफिसर अपनी जगह पर बैठे रहते है. एक मात्र लीगल ऑफिसर रिटर्निंग ऑफिसर ही होता है. रिटर्निंग ऑफिसर को कोई भी आदेश नहीं दे सकता है. ये ठीक उसी प्रकार है, जैसे अदालतों में होता है. कितने भी बड़े नेता और मंत्री की पेशी ही क्यों न हों अदालत में जज अपनी कुर्सी से खड़े नहीं होते है. इसी तरह नामांकन के वक्त भी रिटर्निंग ऑफिसर खड़े नहीं होते है.
चुनाव आयोग हर सीट पर एक रिटर्निंग ऑफिसर और एक असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति जनप्रतिनिधि कानून की धारा 21 और 22 के तहत करता है. रिटर्निंग ऑफिसर गजट नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर नतीजे आने के बाद विजेता उम्मीदवार को सर्टिफिकेट भी जरी करता है. कलेक्टर या मजिस्ट्रेट ही आमतौर पर सभी रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को रिटर्निंग ऑफिसर ही चुनाव चिन्ह अलॉट करता है. इसके साथ ही उनके एफिडेविट को भी पब्लिश करता है.
रिटर्निंग ऑफिसर वोटिंग के लिए EVM और VVPAT को तैयार करने के साथ ही वोटों की गिनती करवाता है और नतीजे घोषित करता है. रिटर्निंग ऑफिसर को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर की मदद से ही चुनाव आयोग अच्छी तरह से चुनाव करवाता है. वहीं रिटर्निंग ऑफिसर सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक ही नामांकन पत्र लेते है. 11 बजे से पहले और 3 बजे के बाद रिटर्निंग ऑफिसर किसी का भी नामांकन नहीं लेते है.