न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- 24 मार्च को मौसम विज्ञान केंद्र रांची में, मौसम पूर्वानुमान और मौसम परिवर्तन में गैप देखा गया है. विषय पर दिनभर कार्यशाला का दौर चला, कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी से छात्र-छात्राएं इस कार्यशाला में शामिल हुई और मौसम विज्ञान केंद्र में लगे उपकरणों और पूर्वानुमान पद्धति की जानकारी भी ली.
मौसम विज्ञान केंद्र रांची में विश्व मौसम दिवस के दूसरे दिन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें रांची के कई कॉलेज के छात्र-छात्राएं शामिल हुए उन्हें बताया गया कि किस तरह मौसम फोरकास्ट किया जाता है किस तरह मौसम बदलता है और किस तरह ग्लोबल वार्मिंग का असर मानव जाति पर हो रहा है, मौसम विज्ञान केंद्र परिसर में लगे तमाम उपकरण ऑन को भी इस मौके पर प्रदर्शित किया गया और उनके बारे में जानकारी दी गई.
कृषि हो पर्यटन हो या फिर एवियशन बिना मौसम के सटीक पूर्वानुमान के कार्यों का संचालन संभव नहीं है, पहले लोग होरोस्कोप देखकर अपनी दिनचर्या शुरू करते थे अब मोबाइल पर वेदर फोरकास्ट देखते हैं छात्र-छात्राओं के लिए भी मौसम की भविष्यवाणी अब एक जरूरी विषय बन गया है,
खासकर की रांची का मौसम परिवर्तनशील है यानी अनप्रिडिक्टेबल है कभी भी यहां मौसम बदलता है और जैसे-जैसे फोरकास्ट सटीक होता जा रहा है मौसम विज्ञान केंद्र की भविष्यवाणी पर लोगों का विश्वास भी बढ़ता जा रहा है.
सटीक पूर्वानुमान जारी करने के बहुत सारे तरीके आ गए हैं सुपर कंप्यूटर की मदद से कई राज्य आपस में जानकारी साझा करते हैं विशेष कर समुद्री तट से लगे राज्यों में समय-समय पर चक्रवर्ती तूफान आते हैं, सटीक जानकारी से कम से कम जनहानि होती है, मोबाइल में भी बहुत सारे ऐप हैं जो समय-समय पर वेदर अलर्ट देते रहते हैं.
* मौसम विज्ञान केंद्र में छात्र-छात्राओं ने जाना फोरकास्ट का तरीका
* जैसे-जैसे फोरकास्ट हो रहा है सटीक बढ़ता जा रहा है लोगों का भरोसा
* पहले लोग होरोस्कोप देखते थे अब फोरकास्ट