नीरज कुमार साहू/न्यूज11 भारत
गुमला/डेस्क: 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है. पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था. पर्यावरण दिवस मनाने का एकमात्र उद्देश्य मानव जाति को पर्यावरण के बारे जागरूक करना है.
कहीं मनुष्य के आती विकास संपूर्ण मनुष्य जाति का विनाश का कारण न बन जाए
पर्यावरण और मनुष्य जाति का गहरा संबंध है, परंतु मनुष्य की जरूरत से अधिक आवश्यकता के कारण आज प्राकृतिक की क्षति और पर्यावरण प्रदूषण अपनी चरम पर पहुंच चुका है. मनुष्य धरले से अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए जंगलों को उजाड़ रहा है,नदियों और पहाड़ पर्वतों को विकास के नाम पर इन सभी का अस्तित्व मिटा रहा है. जहां कभी घने जंगल दिखाई देते थे वहां आज नाम के ही कुछ पेड़ बचे हुए है. जिसके कारण आज प्रदूषण चरम पर पहुंच गई है. मनुष्य कई प्रकार के गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहा है, मनुष्य की आयु सीमा काम होते जा रही है, कहीं विकट जल समस्या उत्पन्न हो रही है तो कहीं बाढ़ की समस्या आ रही है. जंगलों के कटाई के कारण वन्य प्राणियों का भी विनाश हो रहा है, वन्य प्राणियों के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो गई, उनके रहने के लिए जंगल नहीं बच पा रहे हैं यही कारण है कि आज वन्य जीव गांव और शहरों की ओर आ रहे है.
मनुष्य के जीवन जीने के लिए विकास जरूरी है विकास होना भी चाहिए, पर विकास और अति विकास दोनों में बहुत अंतर है, अति विकास के नाम से प्राकृतिक का दोहन अंत में मनुष्य का विनाश का कारण न बन जाए. आज प्रत्येक मानव जाति को यह सोचना चाहिए कि प्राकृतिक है तभी मनुष्य और प्राणी है क्योंकि प्राकृतिक के बिना धरती में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आज विश्व पर्यावरण दिवस में हम समस्त मानव जाति यह प्रण ले की विकास के साथ हम पर्यावरण और प्राकृतिक के भी रक्षा करेंगे.