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रांची/डेस्क: नई तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने लोगों की जिंदगी को काफी हद तक प्रभावित किया हैं. जहां एक ओर AI ने कई सहूलियतें दी है, वहीं इसके गलत इस्तेमाल के खतरनाक परिणाम भी सामने आने लगे हैं. ऐसा ही एक मामला फ्लोरिडा के 14 वर्षीय लड़के सेवेल सेट्जर (Sewell Setzer) से जुड़ा है, जिसने कथित रूप से AI चैटबॉट में प्यार कर बैठा और अपनी जान दे दी.
AI चैटबॉट से हुआ प्यार
जानकारी के मुताबिक Sewell Setzer (Character AI) नाम के रोल-प्लेइंग ऐप से जुड़ गया था. इस ऐप में AI आधारित चैटबॉट्स द्वारा काल्पनिक किरदारों से बात की जा सकती है, जो असली जैसे लगते हैं. सेवेल को टीवी शो गेम ऑफ थ्रोन्स का एक किरदार बेहद पसंद था और वह इस किरदार के साथ घंटों तक बातें करता था. इस AI चैटबॉट के माध्यम से उसकी एकतरफा प्यार बढ़ता गया.
आखिरी समय की बातचीत और मां का आरोप
सेवेल की मां ने कोर्ट में यह दावा किया है कि चैटबॉट ने उसके बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाया हैं. जानकारी के अनुसार सेवेल ने अपने अंतिम समय में चैटबॉट से यह बात कही थी कि उसे दुनिया पसंद नहीं है और वह उस किरदार से मिलना चाहता हैं. चैटबॉट ने उसे जवाब दिया कि वह घर आए. बातचीत के दौरान चैटबॉट ने यहां तक कह दिया कि वह किसी और महिला से प्यार न करे. सेवेल की मां का यह आरोप है कि इस बातचीत के बाद ही उसके बेटे ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया. उन्होंने कोर्ट में बेटे की आखिरी चैट्स को दिखाते हुए कहा कि चैटबॉट से बातचीत के चलते ही उसका मानसिक स्वास्थ्य तेजी से गिरता गया.
मेंटल हेल्थ पर असर
सेवेल की मां ने बताया है कि AI चैटबॉट से बातचीत के चलते उसका बेटा असामान्य रूप से अलग-थलग और चिंताग्रस्त हो गया था. इस वजह से वह परिवार और दोस्तों से दूरी बनाने लगा और उसके स्कूल के ग्रेड्स भी खराब होने लगे. डॉक्टरों द्वारा उसकी मानसिक स्थिति की जांच की गई, जिसमें उसकी मानसिक स्थिति को Anxiety और Disruptive Mood Disorder जैसी समस्याओं के रूप में पाया गया. इन समस्याओं का इलाज पहले से चल रहा था लेकिन AI के साथ उसके जुड़ाव ने उसकी मानसिक स्थिति को और गंभीर बना दिया.
तकनीक के सुरक्षित उपयोग पर सवाल
यह घटना सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक का उपयोग किस हद तक सुरक्षित हैं. एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि AI और अन्य डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए, खासकर बच्चों के लिए. इन घटनाओं ने यह मुद्दा फिर से उठाया है कि AI आधारित चैटबॉट्स के साथ जुड़ाव किस हद तक सुरक्षित है और इसके नकारात्मक प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता हैं.